
Lucknow : लखनऊ विश्वविद्यालय के निर्माण विभाग में भ्रष्टाचार का मामला सामने आने के बाद अधीक्षक पद पर तैनात प्रो. डीके सिंह ने इस्तीफा दे दिया है। उनका कहना है कि यह कदम निजी कारणों से लिया गया है।
आरोप है कि बाजार में जो ईंट आठ रुपये में मिल रही है, उसे विवि के निर्माण विभाग ने 240 रुपये प्रति ईंट की दर से खरीदी। बिजली के काम में भी 931 रुपये प्रति मीटर की दर से केबल खरीदी गई। इस प्रकरण को अमर उजाला ने 28 सितंबर को प्रकाशित किया था, जिसके बाद विवि प्रशासन ने जांच शुरू की।
विश्वविद्यालय के सूत्रों का कहना है कि जांच में मामला सही पाए जाने पर प्रो. सिंह पर इस्तीफे का दबाव बनाया गया। हालांकि, विवि भी इसे निजी कारणों से इस्तीफा देने का हवाला दे रहा है।
अब लविवि के प्राच्य संस्कृति विभाग के शिक्षक डॉ. श्यामलेश कुमार तिवारी को अधीक्षक पद की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इस संबंध में कुलसचिव डॉ. भावना मिश्रा ने सोमवार को पत्र जारी किया है।
छात्र नेता कार्तिक पांडेय ने 27 सितंबर को लविवि के जानकीपुरम परिसर में बने आईएमएस भवन से इंजीनियरिंग संकाय तक केबल बिछाने के काम में एक ईंट को 240 रुपये व केबल को तय मूल्यों से 931.84 रुपये ज्यादा पर खरीदने का आरोप लगाते हुए शिकायत की थी।
28 सितंबर को कार्तिक पांडेय व दुर्गा सिंह ने विद्युत उपकेंद्र से फार्मेसी संस्थान भवन तक केबल के काम व ट्रांसफॉर्मर लगाने में 83 लाख 84 हजार 785 रुपये के गबन का आरोप लगाया। इन शिकायतों के बाद कुलपति, कुलसचिव, मुख्यमंत्री, राज्यपाल और उच्च शिक्षा मंत्री को भी इसकी जानकारी दी गई है।
निविदा में सीसी रोड और 200 वर्गफीट कमरे के निर्माण का भी जिक्र था। आरोप है कि ये दोनों काम नहीं हुए, फिर भी इनका भुगतान कर दिया गया है। सूत्रों का कहना है कि विवि प्रशासन मामले को ठंडा करने में जुटा है।













