काशी विश्वनाथ मंदिर पर विवादास्पद बयान देने के बाद से लखनऊ विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. रविकांत चंदन लगातार सुर्खियों में बने हैं। बुधवार उन्होंने आरोप लगाया कि एक छात्र ने उन्हें थप्पड़ मारा है। शिक्षक का कहना है कि वह सुरक्षा गार्ड के साथ क्लास लेने जा रहे थे। इसी दौरान चीफ प्रॉक्टर कार्यालय के सामने समाजवादी छात्र सभा का इकाई अध्यक्ष कार्तिक पांडेय वहां आया और जातिगत गालियां देते हुए हमला कर दिया।
पूरे विश्वविद्यालय में फैल गई घटना
थोड़ी ही देर में इससे जुड़ा वीडियो भी सामने आ गया। इस वीडियो में धक्का-मुक्की जरुर होते हुए दिख रही है, लेकिन मारपीट बहुत स्पष्ट नहीं है। हालांकि, इस दौरान सुरक्षा गार्ड ने कार्तिक को पकड़ लिया। इस बीच बयान को लेकर पहले ही विवादों में चल रहे शिक्षक के साथ हुई घटना की सूचना पूरे विश्वविद्यालय में फैल गई। आनन-फानन में विश्वविद्यालय चौकी से पुलिसकर्मी छात्रनेता कार्तिक को पकड़ कर अपने साथ ले गए।
घटना से गर्माया माहौल
LU परिसर में बुधवार को अचानक से हुए इस घटनाक्रम से एक बार फिर यहां का माहौल गर्मा गया है। हालांकि, प्रो.रविकांत के साथ मौके पर मौजूद सुरक्षा बल और अन्य लोगों ने बीच बचाव करते हुए बड़ी घटना से बचा लिया। इस घटना के बाद डॉ. रविकांत चंदन चीफ प्रॉक्टर कार्यालय में चले गए।
भड़काने का लगा आरोप
इस बीच प्रोफेसर डॉ. रविकांत चंदन ने मानवाधिकार आयोग और राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग में ई-मेल जरिए शिकायत भेजी है। उन्होंने इस प्रकरण में उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। उनका आरोप है कि लखनऊ विश्वविद्यालय के भू-गर्भ विभाग के एक प्रोफेसर ने साजिश के तहत शिक्षकों के वॉट्सएप ग्रुप पर पोस्ट डालकर मामला भड़काया। इसकी वजह से विद्यार्थी परिषद से जुड़े छात्रों ने उन्हें अपमानजनक जातिसूचक शब्दों के साथ अपशब्द कहे और नारेबाजी भी की।
प्रोफेसर ने दी छात्र को गालियां
मारपीट के आरोप में छात्र कार्तिक ने बताया कि मैं विश्वविद्यालय परिसर में था। वहां रास्ते मे हिंदी के प्रो. रविकांत चंदन मिले। वह मुझे भद्दी भद्दी गाली देने लगे और मेरा गिरेबान पकड़ने लगे। तभी उनके साथ का व्यक्ति ने मेरे ऊपर पानी की बोतल से हमला कर दिया। मजबूरन हमारे बीच वहां मारपीट हुई।
विवादित बयान
सात मई को एक चैनल पर डिबेट में प्रोफेसर रविकांत भी शामिल हुए थे। आरोप है कि काशी विश्वनाथ मंदिर को लेकर उन्होंने विवादित बयान दिया था। 10 मई को इसका वीडियो फैलने के बाद उनका विरोध शुरू हो गया। सबसे पहले विश्वविद्यालय के शिक्षक संघ के ग्रुप पर ही शिक्षकों ने इसकी घोर निंदा की। फिर एबीवीपी के कार्यकर्ता और छात्र इसके विरोध में हिंदी विभाग के सामने प्रदर्शन करने लगे थे।
प्रोफेसर ने दी सफाई मामले के बढ़ने पर प्रो. रविकांत ने सफाई दी थी। उन्होंने कहा था कि डिबेट में लेखक पट्टाभि सीतारमैया की किताब ‘फैदर्स एंड स्टोंस’ के आधार पर अपनी बात रखी थी। वायरल किए गए वीडियो में किताब का रेफरेंस काट दिया गया। किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना मेरा उद्देश्य नहीं था। किसी को गलत लगा है, तो मैं खेद प्रकट करता हूं। लेकिन दलित शिक्षक होने के बाद भी मुझे अपनी बात रखने का हक है।