रक्षा मंत्रालय ने छह पनडुब्बियों के लिए भारतीय कंपनी लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) का 70 हजार करोड़ रुपये का टेंडर रद्द कर दिया है। स्पेनिश कंपनी नवांतिया के साथ साझेदारी में एलएंडटी का प्रस्ताव खारिज होने के बाद अब जर्मनी की कंपनी के सहयोग से मुंबई की मझगांव डॉकयार्ड लिमिटेड प्रोजेक्ट 75 इंडिया के तहत यह पनडुब्बियां बनाएगी। चीनी नौसेना के तेजी से आधुनिकीकरण की पृष्ठभूमि में भारत अपने समुद्री क्षेत्र में चीन और पाकिस्तान से मुकाबला करने को वांछित क्षमताएं विकसित कर रहा है। इसीलिए सरकार ने परमाणु और पारंपरिक दोनों तरह की कई पनडुब्बी परियोजनाओं को मंजूरी दी है।
दरअसल, भारतीय नौसेना प्रोजेक्ट 75 इंडिया के तहत तीन सप्ताह तक पानी के नीचे रहने की क्षमता वाली छह उन्नत पनडुब्बियां खरीदना चाहती है। इसके लिए एलएंडटी और उसकी साझेदार कंपनी ने एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन (एआईपी) की कार्यप्रणाली को भारतीय नौसेना की टीम के सामने प्रदर्शित किया था, लेकिन नौसेना ने निविदा दस्तावेज में अपनी आवश्यकताओं के लिए उच्च स्टेल्थ सुविधाओं वाली प्रणाली की मांग की थी। भारतीय नौसेना एक समुद्र-सिद्ध एआईपी प्रणाली चाहती है, जो सुरक्षित और विश्वसनीय हो। पनडुब्बियों में उच्च स्टेल्थ सुविधाएं होनी चाहिए, जो उन्हें लंबे समय तक पानी के नीचे रहने की अनुमति दे सकें।
रक्षा मंत्रालय के अनुसार इस सौदे के लिए जर्मनी की कंपनी थिसेनक्रुप मरीन सिस्टम्स (टीकेएमएस) और स्पेनिश कंपनी नवांतिया प्रतिस्पर्धा में थीं। पनडुब्बी अनुबंध के लिए जर्मन कंपनी के साथ मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल) और स्पेनिश कंपनी के साथ लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) भारतीय साझेदार के रूप में थीं। जर्मनी की कंपनी टीकेएमएस नौसेना के जहाजों, पनडुब्बियों और सतह के जहाजों के लिए प्रौद्योगिकी और सेवाएं उपलब्ध कराती है। रक्षा मंत्रालय ने पाया है कि छह पनडुब्बियों का ऑर्डर हासिल करने के लिए लार्सन एंड टुब्रो का 70 हजार करोड़ रुपये का टेंडर अनुपालन योग्य नहीं है तथा नवांतिया ने पी75आई के लिए समुद्र में प्रमाणित एआईपी का प्रदर्शन नहीं किया है।
भारतीय कंपनी एलएंडटी का 70 हजार करोड़ रुपये का टेंडर रद्द होने के बाद अब सरकारी स्वामित्व वाली मझगांव डॉकयार्ड लिमिटेड अपनी साझेदार जर्मन कंपनी थिसेनक्रुप मरीन सिस्टम्स के साथ छह पनडुब्बियां बनाने की दौड़ में एकमात्र विक्रेता रह गई है। अब रक्षा मंत्रालय परियोजना में प्रक्रियाओं के अनुसार आगे बढ़कर सभी स्तरों पर प्रक्रिया की जांच कर रहा है। संबंधित अधिकारियों को शिपयार्ड के बीच परियोजना को समान रूप से विभाजित करने के सुझाव भी दिए गए हैं। भारतीय नौसेना के लिए छह डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों के निर्माण का यह सौदा भारत के प्रोजेक्ट-75आई के तहत किया गया है।