
West Bengal Politics : पश्चिम बंगाल की राजनीति में मदन मित्रा का नाम एक चर्चित और विवादित व्यक्तित्व के रूप में जाना जाता है। इस बार उन्होंने भगवान राम को लेकर विवादित बयान दिया है। उन्होंने कहा कि भगवान राम मुस्लिम थे। उनके इस बयान से राजनीतिक विवाद छिड़ गया।
कौन है मदन मित्रा?
मदन मित्रा का जन्म दक्षिण कोलकाता के एक जमींदार और कारोबारी परिवार में हुआ। उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत 1970 के दशक में कांग्रेस पार्टी के केंद्रीय नेता प्रियरंजन दासमुंशी के असिस्टेंट के रूप में की थी। उस दौर में वह छात्र नेता के रूप में उभरे और धीरे-धीरे अपनी पहचान बनाने लगे।
राजनीतिक सफर की शुरुआत में ही मित्रा कांग्रेस के छात्र विंग से जुड़ गए थे, लेकिन वक्त के साथ वह कांग्रेस विरोधी खेमे में चले गए। उन्होंने लेफ्ट फ्रंट को कड़ी टक्कर दी और 90 के दशक में दक्षिण कोलकाता में अपनी मजबूत पकड़ बनाई। उस दौरान उन्होंने एक टैक्सी ड्राइवर यूनियन की स्थापना की और एसएसकेएम सरकारी अस्पताल में यूनियन का नियंत्रण भी संभाला।
1998 में, उन्होंने तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) में शामिल होकर अपने राजनीतिक सफर को नई दिशा दी। ममता बनर्जी के साथ काम करते हुए उन्होंने पहली बार 2011 में कमरहाटी विधानसभा सीट से विधायक बनें और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पहली सरकार में खेल, युवा मामलों और परिवहन मंत्री के रूप में जिम्मेदारी संभाली। हालांकि, 2015 में शारदा चिट फंड घोटाले में नाम आने के बाद उन्हें मंत्री पद छोड़ना पड़ा।
साल 2016 में उन्होंने फिर से चुनाव लड़ा, लेकिन हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद 2019 में भाटपारा सीट पर उपचुनाव में पार्टी ने उन्हें मैदान में उतारा, जहां उन्हें हार मिली। लेकिन 2021 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने फिर से कमरहाटी सीट से जीत दर्ज की और पश्चिम बंगाल परिवहन निगम के चेयरमैन बने।
राजनीति के अलावा, मदन मित्रा का फिल्मी करियर भी रहा है। साल 2023 में उन्होंने 69 साल की उम्र में बंगाली फिल्म में अभिनय किया।
मदन मित्रा का विवादों से रहा है नाता
मदन मित्रा का विवादों से गहरा नाता भी रहा है। 25 जून, 2023 को कोलकाता के साउथ कोलकाता लॉ कॉलेज में 24 वर्षीय छात्रा के साथ गैंगरेप की घटना पर उनकी टिप्पणी ने राजनीतिक हलकों में खलबली मचा दी। उन्होंने कहा, “अगर लड़की अपने साथ कुछ दोस्तों को ले जाती तो यह घटना न होती।” इस बयान की निंदा पूरे क्षेत्र में हुई, और तृणमूल कांग्रेस ने भी इसे खेदजनक बताया।
इसी तरह, 2012 में उन्होंने पार्क स्ट्रीट रेप पीड़िता सुज़ेट जॉर्डन के रात में अजनबियों से दोस्ती करने के फैसले पर सवाल उठाए थे, जिस पर भी विवाद हुआ। इसके अलावा, जनवरी 2025 में उन्होंने पार्टी पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए कहा कि पार्टी में बड़े पैमाने पर पैसे का लेन-देन हो रहा है। उन्होंने कहा कि मंत्री बनने के लिए उन्हें 10 करोड़ रुपये देने पड़े, और यदि वह मंत्री नहीं बन सके तो नुकसान भी हुआ।
उनका नाम कई बड़े घोटालों में भी आया है। दिसंबर 2014 में, शारदा चिट फंड मामले में उन्हें सीबीआई ने गिरफ्तार किया था, लेकिन सितंबर 2016 में जमानत मिल गई।
अब 2025 में मदन मित्रा ने एक बार फिर धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाला बयान दिया है। उन्होंने कहा कि हिदुओं के भगवान राम मुस्लिम थे, हिंदू नहीं। हालांकि, अपने पूरे भाषण में मदन मित्रा आगे कहते था कि भगवान राम धर्म से ऊपर हैं, लेकिन इसे जानबूझकर तोड़-मरोड़कर पेश किया जा रहा है।
भाजपा का आरोप है कि टीएमसी नेताओं द्वारा ऐसे बयान बार-बार दिए जा रहे हैं, जो बहुसंख्यक समाज की भावनाओं को ठेस पहुंचाते हैं। पार्टी ने इसे अवैध प्रवासियों को संदेश देने की कोशिश बताया और टीएमसी को सबसे हिंदू-विरोधी दल करार दिया। भाजपा ने ममता बनर्जी की पार्टी से विधायक के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।
यह भी पढ़े : बिहार में हिजाब विवाद पर BJP और JDU आमने-सामने! भाजपा ने की बैन की मांग तो जदयू ने कहा- रोक नहीं लगाई जा सकती















