लोहाघाट। मनुष्य का जब तक प्रकृति से अटूट रिश्ता बना हुआ था, तब तक पर्यावरण की कोई समस्या पैदा ही नहीं हुई। जब से मनुष्य ने प्रकृति से अपना रिश्ता तोड़कर उससे लालच करना शुरू किया, तभी से प्रकृति ने अपना स्वभाव ही बदल दिया है। यदि समय रहते हमारी चेतना जागृत नहीं हुई तो हम भावी पीढ़ी के लिए हरे-भरे जंगलों के स्थान पर नंगे पहाड़ व रेगिस्तान विरासत में छोड़ जाएंगे।
यह बात आईटीबीपी की 36वीं वाहिनी के कमांडेंट डीपीएस रावत ने वाहिनी द्वारा संचालित मिशन लाइफस्टाइल फॉर इन्वायरमेंट कार्यक्रम के तहत जन जागरूकता अभियान के दौरान कही। उन्होंने कहा कि गंगा यमुना का उद्गम हिमालयी क्षेत्र में आज एक-एक बूंद पानी के लिए हम सब तरस रहे हैं। इसका कारण मनुष्य का लालच है। अपने थोड़े से लाभ के लिए हमने प्रकृति के श्रंगार उन पेड़ों को निर्ममता से उजाड़ दिया, जो जन्म से लेकर मृत्यु तक हमसे परछाई की तरह आत्मसात करते आ रहे हैं।
उन्होंने कहा कि जंगलों को आग के हवाले कर हम प्रकृति को कितना नुकसान पहुंचा रहे हैं, उसकी भरपाई में बहुत लंबा समय लगेगा। देवभूमि में जंगली आग से वन्यजीवों का जो संसार समाप्त होता जा रहा है, इस अभिशाप से मनुष्य अपने आप को कैसे बचाएगा? यह एक हर वक्त सोचने का विषय बन गया है।
इस अवसर पर उन्होंने सुई से गलचौड़ा तक बाइक रैली में शामिल होकर लोगों को पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया। जागरुकता रैली में सभी हिमवीरों, नागरिकों के अलावा डॉ. अशोक एरन, उपसेनानी राजेश मीणा, आरके बोहरा आदि शामिल थे।