- क्राइम टीम को डीसीपी पूर्वी ने किया भंग तो सच आया सामने
- एडीसीपी पूर्वी के हाथों जांच, कुछ तो है, जिसकी पर्दादारी
लखनऊ। राजधानी के चिनहट कोतवाली क्षेत्र में ओवरसीज बैंक का लॉकर काटकर हुई करोड़ों की चोरी में अपना दामन बचाते हुए पुलिस ने फुल, हॉप एनकाउंटर कर पूरे मामले का पर्दाफाश करने का दावा किया। लेकिन पुलिस विभाग में करीब एक माह से अंदर ही अंदर पक रही खिचड़ी की भाप अचानक से बाहर आई जैसे हवा का झोका। लिहाजा इस मामले की गुत्थी पर इस कदर सवाल खड़ा हुआ कि अचानक डीसीपी पूर्वी शशांक सिंह ने क्राइम टीम को भंग कर दिया।
इस कदम से साफ है, कि ओवरसीज बैंक कांड के खुलासे में कहीं ना कहीं कोई छेद जरूर है। सूत्रों की मानें तो 42 लॉकर बैंक के तोड़कर चोरी हुई आनन फानन में घटना का पर्दाफाश हुआ लेकिन जब पकड़े गए लोगों और खासकर मास्टरमाइंड तक की बरामदगी वाली लिस्ट को बैंक धारकों की लिस्ट से मिलाया गया तो सब ने चुप्पी साध ली और जितना था उतना ट्रेजरी में जमा कर लिस्ट बैंक को भेज दी। फिर ग्राहक अपनी सूची लेकर बैंक के चक्कर काटने लगे लेकिन बैंक कोर्ट में रिक्वरी के लिए अप्लाई की बात कहता रहा।
लेकिन हंगामा तो तब हुआ जब पुलिस के रिटायर्ड अधिकारी का नाम इसमें शामिल नहीं मिला। इसी बीच अंदर ही अंदर बरामदगी कांड की गोपनीय जांच हुई जिसमें चार पुलिसकर्मी संदिग्ध पाए गए जो थकान की बात कहकर छुट्टी पर निकल लिए। बहरहाल मामले में क्राइम टीम को भंग कर उसमें शामिल 13 लोगों को इधर-उधर कर दिया गया।
जिसमें कई तो गेहूं के साथ घुन जैसी सजा पाए जांच अब सार्वजनिक रूप से एडीसीपी को सौंपी गई जिसके पूरे होने पर ही बरामदगी कांड से पर्दा उठेगा। कोई पहली बार नहीं उठी बरामदगी पर हेरफेर की उंगली ओवरसीज बैंक बरामदगी कांड कोई नया नहीं इससे पहले भी मड़ियांव में हुए गुटखा व्यापारी हो यह आशियाना सोना लूट कांड ऐसे प्रदेश में कई मामले हुए जहां क्राइम टीम को आनन फानन में भंग किया जा चुका है।