
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने लोकसभा में 15 भगोड़ों की सूची पेश की है। इसी के बाद विजय माल्या लगातार सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट कर सरकार और बैंकों के आंकड़ों पर सवाल उठा रहे हैं। माल्या ने यहां तक मांग कर दी कि वसूली के आंकड़ों की जांच के लिए एक रिटायर्ड जज की नियुक्ति की जाए। ऐसे में बड़ा सवाल है कि सरकार ने आखिर कौन सा डेटा प्रस्तुत किया और माल्या इतने नाराज़ क्यों हैं?
सरकार ने लोकसभा में क्या आंकड़े रखे?
केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी द्वारा दिए गए डेटा के अनुसार:
- SBI ने विजय माल्या से 10,814.54 करोड़ रुपये वसूल किए
- जबकि बैंक का वास्तविक नुकसान 6,848.28 करोड़ रुपये बताया गया
➤ यानी रिकवरी मूलधन से ज़्यादा हुई - किसी भी बैंक ने वन टाइम सेटलमेंट (OTS) को मंजूरी नहीं दी
इसके अलावा कई अन्य बैंकों ने भी किंगफिशर एयरलाइंस से जुड़े खातों में वसूली की है। जैसे—
- बैंक ऑफ बड़ौदा: 494 करोड़ के लोन पर 995 करोड़ की वसूली
- बैंक ऑफ इंडिया: 565 करोड़ के लोन पर 974 करोड़ की वसूली
कुल मिलाकर:
₹17,479.16 करोड़ का वित्तीय नुकसान
में से
₹15,094.93 करोड़ की रिकवरी हो चुकी है

विजय माल्या ने क्या कहा?
माल्या ने दो पोस्ट कर सरकार की ओर से पेश किए गए आंकड़ों पर सवाल उठाए। उनका आरोप है—
“सरकार और सरकारी बैंक मुझे और जनता को कब तक धोखा देते रहेंगे? वित्त मंत्री कहते हैं कि मुझसे ₹14,100 करोड़ वसूले गए। बैंक कहते हैं ₹10,000 करोड़ वसूले गए। दोनों आंकड़ों में ₹4,000 करोड़ का अंतर क्यों?”
उन्होंने आगे कहा—
“कभी कहा जाता है कि ₹10,000 करोड़ अभी भी बकाया हैं, तो कहीं ₹7,000 करोड़ बताया जा रहा है। वसूली गई रकम का सही लेखा-जोखा क्यों नहीं दिखाया जा रहा?”
माल्या का दावा है कि उनका मूल लोन ₹6,203 करोड़ था, इसलिए वसूली के आंकड़ों में इतना अंतर समझ से परे है।
दूसरी पोस्ट में उन्होंने कहा—
“वित्त राज्य मंत्री के अनुसार, कुल वसूली ₹15,094 करोड़ है—जो दिसंबर 2024 में वित्त मंत्री द्वारा बताए गए आंकड़े से लगभग ₹1,000 करोड़ ज्यादा है। यह अंतर क्यों?”
माल्या की मुख्य मांग
- वसूली के पूरे मामले की जज की निगरानी में स्वतंत्र जांच
- वसूली गई रकम का ट्रांसपेरेंट अकाउंट पब्लिक के सामने रखा जाए














