
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को शराब की पैकिंग को लेकर चिंता व्यक्त की है, विशेष रूप से उन टेट्रा पैक्स पर जो जूस जैसी दिखती हैं। कोर्ट ने कहा, “यह पहली बार देखा है कि जूस जैसी पैकिंग में शराब बेची जा रही है। यह पैकिंग बच्चों के लिए आसानी से उपलब्ध हो सकती है और देखने में भ्रामक होने के कारण माता-पिता की नजरों से भी छूट सकती है।
इन पैकेट्स पर स्वास्थ्य चेतावनी तक नहीं लिखी है।” अदालत ने यह टिप्पणी उस समय की जब वह दो शराब ब्रांड्स के बीच लंबे समय से चल रहे कानूनी विवाद की सुनवाई कर रही थी।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि सभी सरकारें केवल राजस्व कमाने के मकसद से इन पैकिंग की अनुमति दे रही हैं। हालांकि, कोर्ट ने किसी आदेश के लिए अभी कोई निर्देश नहीं दिया है। कोर्ट ने इस विवाद को लेकर कहा कि यह मामला 20 साल से अधिक समय से चल रहा है और यह विवाद मद्रास हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ आया है।
जॉन डिस्टिलरीज ने हाईकोर्ट के उस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी जिसमें ऑलाइड ब्लेंडर्स एंड डिस्टिलर्स (ऑफिसर्स चॉइस के निर्माता) के पक्ष में फैसला सुनाया गया था, और जॉन डिस्टिलरीज को ‘ऑरीजनल चॉइस’ ट्रेडमार्क हटाने का आदेश दिया गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों की सहमति से इस ट्रेडमार्क विवाद को मध्यस्थता के लिए पूर्व जज जस्टिस एल. नागेश्वर राव के पास भेज दिया है। बेंच ने कहा कि जस्टिस राव इस मामले पर तुरंत काम शुरू करें और जल्द से जल्द समझौता कराने का प्रयास करें। इस फैसले से उम्मीद जताई जा रही है कि विवाद का समाधान जल्द निकलेगा और इस तरह की भ्रामक पैकिंग पर रोक लगाई जा सकेगी।
यह भी पढ़े : सवाल पूछने पर पत्रकार से उलझे डोनाल्ड ट्रंप, गुस्से में बोले- ‘बहुत घटिया रिपोर्टर हो…’















