
शिमला : हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम (HRTC) की आर्थिक स्थिति लंबे समय से खराब बनी हुई है। अब निगम ने घाटे से उबरने के लिए लॉन्ग रूट की बस सेवाओं को बंद या मर्ज करने का फैसला लिया है। इसके तहत उन रूटों की पहचान की जा रही है जो लगातार घाटे में चल रहे हैं।
घाटे वाले रूटों पर पड़ेगी गाज
एचआरटीसी के प्रबंध निदेशक निपुण जिंदल ने जानकारी देते हुए बताया कि ऐसे रूट जिनसे लगातार नुकसान हो रहा है, उन पर चल रही बस सेवाएं बंद की जा सकती हैं। निगम की ओर से रूटवार प्रति किलोमीटर आय, खर्च, और यात्रियों की संख्या का डाटा इकट्ठा किया जा रहा है। विशेषकर हिमाचल से दिल्ली, पंजाब, हरिद्वार और हरियाणा जैसे राज्यों के लिए चल रही बस सेवाओं का विश्लेषण हो रहा है।
जिन रूटों पर 30 मिनट से 1 घंटे के अंतराल में बसें चल रही हैं और उनकी लोडिंग कम है, उन्हें मर्ज किया जाएगा, ताकि संसाधनों का बेहतर उपयोग किया जा सके।
पहले भी कई रूट किए जा चुके हैं बंद
इससे पहले HRTC ने दिल्ली-हरिद्वार रूट पर चलने वाली 6 बस सेवाएं बंद कर दी थीं। यह प्रक्रिया अब चरणबद्ध ढंग से आगे बढ़ेगी। वर्तमान में HRTC के 31 डिपो हैं और निगम की बसें 2684 रूटों पर प्रतिदिन 5.60 लाख किलोमीटर का सफर तय करती हैं।
हालांकि, इनमें से कई रूट ऐसे हैं जहां सवारी बहुत कम होती है, जिससे बसें लगातार घाटे में चल रही हैं। ऐसे में अब प्रबंधन इन रूटों पर कड़ा फैसला लेने की तैयारी में है।
दो सालों में 88 रूट बंद, 52 नए शुरू
पिछले दो वर्षों में HRTC ने 52 नए रूट शुरू किए हैं, वहीं 88 रूट बंद भी किए गए हैं। जिलेवार देखें तो:
- शिमला में सबसे ज्यादा 15 रूट शुरू किए गए,
- कांगड़ा में 7,
- कुल्लू में 6,
- ऊना में 5,
- सोलन व चंबा में 4-4,
- मंडी, बिलासपुर व सिरमौर में 3-3,
- किन्नौर व हमीरपुर में 1-1 रूट चालू किया गया है।
प्रदेशभर में चल रही 3250 बसें
प्रदेश में HRTC की कुल 8,000 से अधिक रूटों पर करीब 3,250 बसें संचालित हो रही हैं। लेकिन यात्रियों की संख्या के अनुसार कई रूट घाटे का सौदा बन चुके हैं। निगम अब ऐसे रूटों पर सुधारात्मक कदम उठाकर राजस्व हानि को नियंत्रित करने की कोशिश कर रहा है।