
Leh Voilence : लेह में केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा और संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर हुए हिंसक प्रदर्शन में चार लोगों की मौत हो गई है। इस दौरान 80 से अधिक लोग घायल हुए हैं, जिनमें 40 पुलिसकर्मी भी शामिल हैं।
प्रदर्शनकारियों ने भाजपा कार्यालय, लद्दाख स्वायत्त पर्वतीय विकास परिषद के दफ्तर और कई वाहनों में आग लगा दी। हालात बिगड़ते देख सुरक्षाबलों ने आंसू गैस के गोले छोड़े, लाठीचार्ज किया और फायरिंग भी की। लेह में कर्फ्यू लागू कर दिया गया है और इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई है।
हिंसा के कारण चार दिवसीय लद्दाख महोत्सव को रद्द कर दिया गया है और लोगों के जुटने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने भूख हड़ताल तोड़ते हुए युवाओं से शांति बनाए रखने की अपील की। प्रदर्शनकारियों में बड़ी संख्या में छात्र भी शामिल थे, जो 15 दिन से भूख हड़ताल पर थे। लद्दाख एपेक्स बॉडी (एलएबी) की युवा शाखा के 15 कार्यकर्ता भी 35 दिनों से भूख हड़ताल पर थे, जिनमें से दो की हालत बिगड़ने पर अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इसके बाद एलएबी ने लेह बंद का आह्वान किया।
प्रदर्शन उस वक्त हिंसक हो गया, जब युवाओं ने पुलिस और सुरक्षाबलों पर पथराव किया, भाजपा और हिल काउंसिल के मुख्यालय पर आगजनी की और वाहनों को आग लगा दी। वांगचुक ने कहा, “यह युवाओं की क्रांति है, पर हिंसा नहीं होनी चाहिए।”
उपराज्यपाल कविंद्र गुप्ता ने कहा कि प्रदर्शन शांतिपूर्ण तरीके से होना चाहिए था। उन्होंने आरोप लगाया कि बाहरी लोगों की भूमिका की जांच की जाएगी। वहीं, केंद्र सरकार ने कहा कि हिंसा सोनम वांगचुक के भाषणों के कारण भड़की, जिन्होंने अरब स्प्रिंग और नेपाल में जेन-जी के प्रदर्शनों का उल्लेख किया।
कांग्रेस नेता फुंटसोग स्टैनजिन त्सेपाग पर भड़काऊ भाषण देने का मामला दर्ज किया गया है। भाजपा ने आरोप लगाया है कि कांग्रेस और विधायक प्रदर्शन में शामिल और हिंसा भड़काने में शामिल हैं।
छह अक्तूबर को लद्दाख मुद्दों पर हाई पावर कमेटी की बैठक प्रस्तावित है। इसमें छठी अनुसूची पर चर्चा होनी है, जिसमें त्रिपुरा, मेघालय, मिजोरम और असम शामिल हैं। वर्तमान में, यह अनुसूची इन चार राज्यों तक ही सीमित है।
लद्दाख के हितों के लिए कारगिल में भी बंद का आह्वान किया गया है। डॉ. जफर अखून ने कहा कि प्रदर्शनकारियों की मांगें जायज हैं और सरकार को अपना रुख लचीला रखना चाहिए, खासकर छठी अनुसूची और रोजगार की मांगों पर।
लेह एपेक्स बॉडी के को-चेयरमैन चेरिंग दोरजे ने कहा कि हिंसा दुर्भाग्यपूर्ण है, और युवा अब काबू से बाहर हो गए हैं। उन्होंने सरकार से ध्यान देने की अपील की।
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