कॉरिडोर निर्माण के बीच 50 सालों से शिव मंदिर की सेवा कर रहे गिरि समुदाय का बड़ा वर्ग क्यों है नाखुश?

लखीमपुर खीरी। छोटी काशी के नाम से प्रसिद्ध गोला गोकर्णनाथ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा घोषित बाबा गोकर्णनाथ धाम कॉरिडोर का निर्माण क्षेत्र के लिए आस्था, विकास और पर्यटन की नई उम्मीद लेकर आया है। कॉरिडोर निर्माण शुरू होते ही जहां आम जनमानस में उत्साह और खुशी का माहौल है, वहीं शिव मंदिर की दशकों से सेवा-संभाल कर रहे गिरि समुदाय के एक बड़े वर्ग में गहरी नाराजगी और असंतोष भी सामने आया है। विवाद की वजह मंदिर प्रबंधन की वह पुरानी समिति है, जिसे दरकिनार कर नई ट्रस्ट के गठन का आरोप लगाया जा रहा है।

जानकारी के अनुसार 14 दिसंबर 1972 को स्वर्गीय रामचंद्र गिरि, स्वर्गीय राजेंद्र गिरि, स्वर्गीय कालिका गिरि सहित कुल 12 सदस्यों द्वारा मंदिर श्री भगवान शंकर प्रबंधकारिणी समिति की स्थापना की गई थी। इस समिति का उद्देश्य मंदिर परिसर के संचालन, व्यवस्थाओं और आने वाली समस्याओं का समाधान करना था। वर्षों तक यह समिति सक्रिय रही और वर्ष 2010 तक इसका नियमित नवीनीकरण होता रहा। उस समय समिति के अध्यक्ष चंद्र दत्त गिरि थे। बाद में आपसी वैचारिक मतभेदों के चलते पांच वर्ष बाद होने वाला नवीनीकरण नहीं हो सका।

गिरि समुदाय का आरोप है कि इसी स्थिति का लाभ उठाते हुए कॉरिडोर निर्माण शुरू होने से पहले करीब 50 वर्ष पुरानी समिति को नजरअंदाज कर “बाबा चंद्र भाल गोकर्ण नाथ मंदिर जीर्णोद्धार कॉरिडोर सेवा ट्रस्ट” के नाम से एक नई ट्रस्ट बना दी गई। इस ट्रस्ट का अध्यक्ष मौजूदा विधायक अमन गिरि को बनाया गया। ट्रस्ट में गिरि समुदाय से जनार्दन गिरि और धर्मेंद्र गिरि को शामिल किया गया, लेकिन पुरानी समिति से जुड़े कई वरिष्ठ और सक्रिय सदस्यों को इसमें स्थान नहीं दिया गया। नए सदस्यों को जोड़ने और पुराने सदस्यों को बाहर रखने को लेकर समुदाय में रोष बढ़ता चला गया।

इस पूरे मामले को लेकर तत्कालीन अध्यक्ष स्वर्गीय चंद्र दत्त गिरि के पुत्र एडवोकेट राजेश गिरि की अगुवाई में विक्रांत गोस्वामी, संदीप गिरि, राहुल गिरि और विजेंद्र गिरि सहित कुल पांच लोगों ने डिप्टी रजिस्ट्रार, फर्म्स सोसाइटीज एवं चिट्स, लखनऊ मंडल को शपथ-पत्र के साथ शिकायती पत्र सौंपा। शिकायत में समिति के नवीनीकरण, प्रबंध सूची में विसंगतियों और अभिलेखों को लेकर गंभीर सवाल उठाए गए।

डिप्टी रजिस्ट्रार अवनीश कुमार सिंह द्वारा जारी पत्र में स्पष्ट किया गया है कि पूर्व में जारी कार्यालय पत्रों का अनुपालन नहीं किया गया। पत्र में यह भी उल्लेख है कि प्रस्तुत प्रबंध सूची में एक सदस्य को मृतक दिखाते हुए शोक प्रस्ताव संलग्न किया गया है, जबकि उसी अवधि की प्रबंध सूची में उसे पदाधिकारी दर्शाया गया है। इसे गंभीर त्रुटि मानते हुए संस्था से विस्तृत और स्पष्ट आख्या मांगी गई है। साथ ही निर्देश दिया गया है कि संस्था से संबंधित सभी मूल अभिलेख—कार्यवाही रजिस्टर, एजेंडा रजिस्टर, सदस्यता शुल्क रजिस्टर, बैंक स्टेटमेंट, कैश बुक आदि—15 दिनों के भीतर फोटोयुक्त नोटरी शपथ-पत्र के साथ प्रस्तुत किए जाएं, ताकि नियमानुसार कार्रवाई की जा सके।

दूसरी ओर, जनार्दन गिरि द्वारा एक पत्र में स्वयं को पूर्व समिति का अध्यक्ष बताते हुए पांच सदस्यों द्वारा लगाए गए आरोपों को निराधार करार दिया है। उनका कहना है कि उन्होंने कोई नया ट्रस्ट नहीं बनाया और उनके खिलाफ लगाए गए आरोप तथ्यहीन हैं। वहीं एडवोकेट राजेश गिरि पक्ष का दावा है कि बीते एक वर्ष के भीतर नया ट्रस्ट गठित किया गया है, जिसमें जनार्दन गिरि को संरक्षक और विधायक अमन गिरि को अध्यक्ष बनाया गया है।

फिलहाल यह मामला डिप्टी रजिस्ट्रार कार्यालय में विचाराधीन है। एक ओर जहां कॉरिडोर निर्माण को लेकर आस्था और विकास की उम्मीदें हैं, वहीं दूसरी ओर मंदिर प्रबंधन को लेकर उपजा यह विवाद गिरि समुदाय के भीतर असंतोष का बड़ा कारण बना हुआ है।

गोला विधायक अमन गिरि का पक्ष:

नया ट्रस्ट अस्थायी, मुख्य समिति के अधीन—सहमति से होगा मंदिर निर्माण

बाबा गोकर्णनाथ धाम कॉरिडोर परियोजना को लेकर उठे सवालों पर “बाबा चंद्रभाल गोकर्णनाथ मंदिर जीर्णोद्धार कॉरिडोर सेवा ट्रस्ट” के अध्यक्ष एवं गोला विधायक अमन गिरि ने अपना पक्ष स्पष्ट किया है। उन्होंने कहा कि जिस नए ट्रस्ट की चर्चा हो रही है, वह पहले से गठित समिति की ही एक उप-समिति है। इस उप-समिति में आवश्यकतानुसार परिवर्तन करने या इसे समाप्त करने का अधिकार पूर्ण रूप से मुख्य समिति के पास सुरक्षित है।
विधायक अमन गिरि ने बताया कि मंदिर निर्माण कार्य पूर्ण होने तक के लिए यह ट्रस्ट अस्थायी रूप से गठित किया गया है। इसमें विभिन्न जातियों और समुदायों के लोगों को शामिल करने का उद्देश्य केवल इतना है कि मंदिर निर्माण के लिए अधिकतम सहयोग प्राप्त हो और बाबा गोकर्णनाथ धाम को भव्य स्वरूप दिया जा सके।

पूर्वजों की समाधि स्थल को तोड़े जाने के आरोपों पर विधायक ने कहा कि उस स्थान पर उनके भी पूर्वजों की समाधियां मौजूद हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि बड़े विकास कार्यों और व्यापक उद्देश्य की प्राप्ति के लिए कभी-कभी कुछ त्याग आवश्यक हो जाते हैं।

उन्होंने यह भी दोहराया कि उनका उद्देश्य किसी को मानसिक, आर्थिक या सामाजिक रूप से क्षति पहुंचाना नहीं है। मंदिर निर्माण से जुड़ा प्रत्येक कार्य सभी की सहमति और सहयोग से आगे बढ़ाया जाएगा, ताकि आस्था और विकास दोनों के बीच संतुलन बना रहे।

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