दैनिक भास्कर ब्यूरो ,
निघासन खीरी। तपन भरी गर्मी और मूसलाधार बारिश में तिरपाल की छत डालकर दिन काटने वाले तमाम परिवारों की अब हाड़ कंपा देने वाली सर्द रातें भी तिरपाल की छत के सहारे ही कटने वाली हैं। परिवार इस से ज्यादा अपनी गरीबी का और क्या प्रमाण दें। प्रधानमंत्री आवास योजना से मकान बनवाने के लिए ये चक्कर काट रहे हैं, लेकिन इनकी गरीबी शासन-प्रशासन को दिखाई नहीं दे रही हैं। पन्नी और तिरपाल की छत बनाकर उसमें गुजर बसर करने वाले अनेक परिवारों को कईं बार आवेदन करने के बाद भी पात्र नहीं माना गया है। पात्र परिवारों को लाभ नहीं मिलने से सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन पर सवाल है।
क़स्बे के वार्ड नंबर सात में रहने सुनील कुमार छप्पर डालकर एक छोटे से घर में रहते हैं सुनील की पत्नी रेशमी ने बताया कि वह कई बार आवेदन कर चुके हैं। जांच के लिए मेम्बर और सर्वेयर आते हैं, लेकिन दिलासा देकर चले जाते हैं। उन्होंने बताया पहले बारिश ने परेशान किया अब ठंड रूला रही है। उनका आरोप है कि अमीरों के सिर पर प्रधानमंत्री आवास का ताज पहना दिया जाता है, लेकिन गरीब इस योजना से वंचित हैं।
सभासद से लेकर हुक्मरानों से आवाज लगाई गई, लेकिन कोरा आश्वासन ही मिल सका है। वार्ड नं सात की रहने वाली किसवरी बेगम जो विधवा हैं और उनकी बहू रहती है घर मे कच्ची दीवार पर टीन डला हुआ घर है, जिसमें दरवाजे की जगह परदा लटका है। किसवरी टीन डले मकान में और बहु छप्पर नीचे सोते हैं। वह भी पीएम आवास के लिए
कईं बार आवेदन कर चुके हैं, लेकिन प्रधानमंत्री आवास उनको अभी तक नसीब नहीं हुआ। वार्ड न तीन में शरीफ पत्नी और बच्चों के साथ कच्चे मकान में रहते हैं। हस्मतुन ने बताया कई बार आवेदन कर चुके हैं। हस्मतुन का सवाल है कि पात्रता साबित करने के लिए आखिर वह क्या सुबूत अधिकारियों को दें, जिससे पक्के मकान में रहने का उनका भी सपना पूरा हो जाए। वार्ड नं दो के निवासी कैलाश ने बताया कि हर बार उन्हें आवास मिलने की बात होती है। मजदूरी करके जैसे-तैसे पेट भरा जा रहा है। अपने दम पर घर बनाना सपना है। सरकार की योजना का लाभ मिले तो सिर पर पक्की छत हो सकती है।
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