
Bijua, Lakhimpur khiri : सहकारिता व्यवस्था के भरोसेमंद ढांचे पर बड़ा सवाल खड़ा करते हुए बिजुआ क्षेत्र में किसान सेवा सहकारी समिति और जिला सहकारी बैंक पर गंभीर धोखाधड़ी के आरोपों का मामला सामने आया है। ग्राम रामनगर कला के एक किसान ने खुलासा किया है कि खाद दिलाने के नाम पर उसे सदस्य बनाकर उसके दस्तावेजों का दुरुपयोग करते हुए लाखों रुपये का ऋण उसके नाम पर चढ़ा दिया गया, जिसकी जानकारी उसे तब मिली जब वह दोबारा समिति पहुंचा। किसान का आरोप है कि उसकी अनभिज्ञता का फायदा उठाकर समिति एवं बैंक कर्मियों ने न सिर्फ फर्जी दस्तावेज तैयार किए, बल्कि रकम की निकासी भी कर ली और मामला शांत रखने के लिए धमकी तक दी।
इस पूरे प्रकरण पर थाना, जिला स्तर और सहकारिता विभाग में शिकायत देने के बावजूद कार्रवाई न होने पर पीड़ित को आखिरकार न्यायालय की शरण लेनी पड़ी। अदालत द्वारा दिए गए आदेश के बाद बिजुआ समिति और जिला सहकारी बैंक के कई कर्मचारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया, जिसके बाद क्षेत्र में चर्चा तेज हो गई है।

पीड़ित किसान
पीड़ित के अनुसार जनवरी 2024 में खाद प्राप्त करने के लिए समिति जाने पर कर्मचारियों ने आधार, खतौनी–खसरा और बैंक में खाता खुलवाने के नाम पर सदस्यता दिलाई। 5 फरवरी को जिला सहकारी बैंक में बचत खाता खुलवाया गया और अगले दिन समिति पहुंचने पर पता चला कि उसके नाम पर 2,50,000 रुपये भुगतान और 25,000 रुपये का चेक खाद के नाम पर चढ़ा दिया गया है। पीड़ित का दावा है कि सादे कागज़ पर अंगूठा लगवाकर और फोटो लेकर उसके नाम पर ऋण चढ़ाया गया तथा नकद केवल 20,000 रुपये देकर पासबुक और चेकबुक अपने कब्जे में रख ली गई।
तफ्तीश में यह तथ्य भी प्रकाश में आए कि 7 डिसमिल भूमि की खतौनी को एडिट कर 5 एकड़ दिखाया गया और फर्जी बंधक, बारहसाला व अन्य दस्तावेज तैयार कर लगभग तीन लाख रुपये का ऋण जारी किया गया। जब उसने इस फर्जीवाड़े के बारे में जानकारी लेने की कोशिश की तो समिति कर्मचारियों ने धमकाकर कार्यालय से भगा दिया।
शिकायतों को नजरअंदाज किए जाने के बाद पीड़ित द्वारा न्यायालय में किए गए प्रार्थना पत्र पर विचार करते हुए अदालत ने थाना भीरा को मुकदमा दर्ज कर विवेचना के निर्देश दिए। आदेश के अनुपालन में समिति और बैंक के कई कर्मचारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। ग्रामीणों का कहना है कि इस घटना से सहकारिता व्यवस्था की विश्वसनीयता पर बड़ा संकट खड़ा हो गया है और यदि मामले की निष्पक्ष जांच हुई तो बड़े घोटाले के खुलासे से इंकार नहीं किया जा सकता।
पीड़ित की मांग है कि किसानों को आर्थिक नुकसान से बचाने और दोषियों को चिन्हित करने के लिए व्यापक और निष्पक्ष जांच कराई जाए।












