
- नवजात की मौत के बाद उठे सवाल, स्वास्थ्य विभाग की कार्रवाई पर संदेह
Lakhimpur: एक नवजात की संदिग्ध हालात में मौत। अस्पताल पर अवैध ऑपरेशन का आरोप। मुकदमा दर्ज हुआ, अस्पताल सील कर दिया गया। लेकिन कुछ महीनों बाद वही अस्पताल दोबारा संचालित होता मिला न कोई जांच रिपोर्ट सार्वजनिक हुई, न कोई दोषी गिरफ्तार, और न ही स्वास्थ्य विभाग की ओर से कोई स्पष्ट स्पष्टीकरण सामने आया। अब सवाल ये उठता है कि क्या इस पूरे मामले में किसी प्रभावशाली हस्तक्षेप या सिफारिश के चलते नियमों को ताक पर रखकर अस्पताल को दोबारा संचालन की अनुमति दी गई?
घटना 23 दिसंबर 2024 की है। गोला निवासी विशाल बाजपेई अपनी गर्भवती पत्नी नैन्सी को मोहम्मदी रोड स्थित जया अस्पताल लेकर पहुँचे। परिजनों के अनुसार अस्पताल प्रशासन ने पहले नॉर्मल डिलीवरी की बात कही, लेकिन बाद में अचानक ऑपरेशन की जरूरत बता दी गई। परिवार का आरोप है कि अस्पताल में प्रशिक्षित स्टाफ नहीं था, आवश्यक उपकरण भी अधूरे थे। ऑपरेशन में डेढ़ घंटे की देरी हुई और आधी रात को सर्जरी शुरू हुई। इसी दौरान नवजात की मौत हो गई। घटना के बाद डॉक्टर अस्पताल से फरार हो गए।
परिजनों की तहरीर पर डॉ. अंशू वर्मा, ए.के. अग्रवाल, फरहान गाजी, मो. सारीक और मैनेजिंग डायरेक्टर जैब खान के खिलाफ बीएनएस की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज हुआ। स्वास्थ्य विभाग की जांच में पाया गया कि अस्पताल आवश्यक पंजीकरण और संसाधनों के अभाव में संचालित हो रहा था। दस्तावेजों की जांच में अस्पष्टता पाई गई। बचाव में कहा गया कि जया अस्पताल और जया क्लीनिक दो अलग संस्थान हैं मगर यह सफाई नहीं मानी गई।
मेडिकल स्टैब्लिशमेंट एक्ट के उल्लंघन के आरोप प्रमाणित पाए जाने के बाद 18 जनवरी 2025 को अस्पताल को सील कर दिया गया। स्वास्थ्य विभाग के नोटिस में साफ उल्लेख था कि बिना वैध पंजीकरण और आवश्यक संसाधनों के ऑपरेशन कराना गंभीर अपराध है।
मार्च के अंतिम सप्ताह से स्थानीय लोगों को अस्पताल के फिर से खुलने की खबरें मिलने लगी थीं। जून तक यह बात स्पष्ट हो गई कि जया अस्पताल दोबारा मरीजों की भर्ती और ऑपरेशन करने लगा है। यह जानकारी जब पीड़ित परिवार को लगी तो 3 जुलाई को वे सीएचसी गोला के प्रभारी डॉ. गणेश के पास पहुंचे। उन्होंने बताया कि अस्पताल जिला स्तर से खोला गया है, मेरे स्तर से नहीं। इसी बीच, मुख्य चिकित्सा अधिकारी के कार्यालय से प्राप्त एक पत्र के अनुसार अस्पताल प्रबंधन ने बिल्डिंग को सील मुक्त कराने के लिए ₹50,000 की पेनल्टी जमा की थी।
बड़े सवाल
क्या अस्पताल को बिना जांच पूरी हुए दोबारा खोलने की अनुमति दी गई?
क्या यह सब किसी दबाव या प्रभावशाली सिफारिश के चलते हुआ?
अगर अस्पताल सब मानकों के अनुरूप था तो उसे सील क्यों किया गया? और अगर नहीं था, तो अब कैसे चल रहा है?
डॉ. गणेश (सीएचसी प्रभारी, गोला) ने कहा अस्पताल खोलने की अनुमति जिला स्तर से होती है। मुझे इसकी कोई जानकारी नहीं है।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. संतोष कुमार गुप्ता ने कहा पेनल्टी फीस जमा करने के बाद भवन को सील मुक्त किया जा सकता है, लेकिन बिना मानकों को पूरा किए संचालन नहीं होना चाहिए। मैं अभी कार्यालय से बाहर हूं, वापस लौटकर मामले की जांच कराऊंगा।
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