Lakhimpur: केयर डायग्नोस्टिक सेंटर में मेडिकल नियमों की धज्जियाँ,बिना योग्य डॉक्टरों से हो रही जांचें

Lakhimpur: धौरहरा तहसील रोड स्थित केयर डायग्नोस्टिक सेंटर पर अवैध रूप से गंभीर स्वास्थ्य जांचें किए जाने का मामला सामने आया है। आरोप है कि इस सेंटर में बिना पंजीकृत रेडियोलॉजिस्ट और पैथोलॉजिस्ट के गंभीर प्रकार की जांचें की जा रही हैं, जिससे न केवल चिकित्सा नियमों की धज्जियाँ उड़ रही हैं, बल्कि मरीजों की जान को भी अनदेखे जोखिम में डाला जा रहा है।

  • एक नागरिक की पड़ताल में खुली सेंटर की सच्चाई

जानकारी के अनुसार, एक स्थानीय व्यक्ति अपनी पत्नी का अल्ट्रासाउंड और ब्लड टेस्ट कराने के लिए 5 जून को इस सेंटर पर गया था। उसे ₹1210 की जांच राशि में ₹300 की छूट दिखाकर ₹910 का बिल थमाया गया और बाकायदा रसीद भी दी गई। लेकिन जब उसने अल्ट्रासाउंड करने वाले डॉक्टर की जानकारी चाही, तो वहां मौजूद कर्मचारी कोई स्पष्ट उत्तर नहीं दे सके। इससे सेंटर की कार्यप्रणाली पर संदेह और गहरा हो गया।

उक्त व्यक्ति ने जब अंदर जाकर जांच करने वाले स्टाफ से उनकी योग्यता और पंजीकरण के बारे में पूछा तो सामने आया कि वहां कोई एमडी रेडियोलॉजिस्ट, पैथोलॉजिस्ट या डीएमएलटी/ एमएलटी धारक मौजूद नहीं था। अधिकतर कर्मचारी अनुभव के आधार पर काम कर रहे थे, जिनकी योग्यता गंभीर चिकित्सकीय जांचों के लिए उपयुक्त नहीं थी।

रिपोर्ट पर फर्जी डॉक्टर का नाम

सेंटर द्वारा दी गई रिपोर्ट पर डॉ. ए.आई. युहाना (एमबीबीएस, एमएस) का नाम और हस्ताक्षर अंकित थे, लेकिन वहां मौजूद किसी भी व्यक्ति को इस डॉक्टर के बारे में जानकारी नहीं थी। यह दर्शाता है कि रिपोर्टों पर झूठे नामों का इस्तेमाल किया जा रहा है, जो सीधे तौर पर कानून का उल्लंघन है।

सेवाओं के नाम पर खुली लूट

सेंटर के बोर्ड पर डिजिटल एक्स-रे, 4डी अल्ट्रासाउंड, फुल बॉडी चेकअप और बेडसाइड सैंपल कलेक्शन जैसी हाई-टेक सेवाओं की सूची दर्ज है। लेकिन हकीकत यह है कि ये सेवाएं अनुभवहीन व अयोग्य कर्मचारियों द्वारा संचालित की जा रही हैं। इसके चलते रिपोर्टों की शुद्धता संदेह के घेरे में है और मरीजों को गलत इलाज मिलने की आशंका है।

सीएमओ ने दी प्रतिक्रिया, जल्द कार्रवाई का आश्वासन

इस मामले में जब मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) लखीमपुर खीरी डॉ. संतोष गुप्ता से संपर्क किया गया, तो उन्होंने बताया कि सेंटर की अनियमितताओं की सूचना उन्हें प्राप्त हो चुकी है। “मामले की जांच कराई जा रही है और जल्द ही कार्रवाई की जाएगी,” उन्होंने स्पष्ट कहा।

प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की भूमिका सवालों के घेरे में

स्थानीय लोगों का कहना है कि यह सेंटर लंबे समय से बिना किसी स्पष्ट निगरानी के काम कर रहा है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि स्वास्थ्य विभाग अब तक क्यों मौन रहा? क्या यह चूक थी या जानबूझकर की गई अनदेखी?

कानून क्या कहता है?

अल्ट्रासाउंड सिर्फ पंजीकृत रेडियोलॉजिस्ट, डी एम. आर. डी, डी जिओ, सोनोलॉजिस्ट, एम एस द्वारा किया जा सकता है।

ब्लड टेस्ट केवल मान्यता प्राप्त पैथोलॉजिस्ट या डी एम एल टी/ एम एल टी टेक्नीशियन द्वारा किया जाना चाहिए।

डायग्नोस्टिक सेंटर को संचालन से पूर्व स्वास्थ्य विभाग से लाइसेंस और मान्यता लेना अनिवार्य है।

इन नियमों का उल्लंघन होने पर न केवल सेंटर का लाइसेंस रद्द किया जा सकता है, बल्कि संबंधित व्यक्तियों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज कर जेल तक भेजा जा सकता है।

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