लखीमपुर: गर्भवती रिंकी की चीखें और संदीप की फरियाद- कौन है असली पीड़ित ?

  • दहेज, हिंसा और पुलिसिया उत्पीड़न: न्याय की जंग में उलझा एक परिवार
  • फूलबेहड़ थाने की भूमिका पर सवाल – पीड़िता कौन, आरोपी कौन ?
  • एक मामले में दो पीड़ित, एक पर आरोप, दूसरे पर डंडे – किसका सच ?

लखीमपुर खीरी। जिले के फूलबेहड़ थाना क्षेत्र में एक गर्भवती महिला के साथ दहेज प्रताड़ना और मारपीट का मामला सामने आया है। पीड़िता के पिता ने जहां ससुराल पक्ष पर गंभीर आरोप लगाए हैं, वहीं महिला के पति ने खुद को पुलिस उत्पीड़न का शिकार बताया है। यह मामला अब केवल घरेलू हिंसा का नहीं, बल्कि पुलिस की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर प्रश्नचिह्न खड़े करता है।

गर्भवती महिला को पीटकर घर से निकाला –

गांव गौरा निवासी सबितादीन ने थाना फूलबेहड़ में दर्ज कराई गई शिकायत में आरोप लगाया है कि उनकी 22 वर्षीय बेटी रिंकी की शादी करीब एक साल पहले संदीप पुत्र प्रकाश निवासी खैरीपुरवा, मजरा तेन्दुआ से हुई थी। शादी के बाद से ही रिंकी को दहेज के लिए प्रताड़ित किया जा रहा था। आरोप है कि 9 अप्रैल 2025 को, जब रिंकी गर्भवती थी, तब उसे बुरी तरह पीटकर ससुराल वालों ने घर से निकाल दिया।

परिजनों ने रिंकी को खोजकर किसी तरह वापस लाया, जिसके बाद उसने अपनी आपबीती बताई। सबितादीन का कहना है कि जब उन्होंने संदीप से बात करने की कोशिश की, तो उन्हें धमकियां दी गईं और गालियां दी गईं।

महिला की ओर से दर्ज हुआ मामला –

इस मामले में पीड़िता रिंकी की ओर से पति संदीप और उसके परिजनों के खिलाफ दहेज प्रताड़ना और भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धाराओं के अंतर्गत मुकदमा दर्ज हो चुका है।

पति का पलटवार – पुलिस ने की बर्बरता

वहीं, इस मामले ने नया मोड़ तब लिया जब रिंकी के पति संदीप ने खुद को पीड़ित बताते हुए पुलिस पर उत्पीड़न का आरोप लगाया। संदीप का कहना है कि रिंकी 9 अप्रैल की रात को बिना बताए मायके चली गई थी। जब उसने उसे खोजने की कोशिश की और गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराने फूलबेहड़ थाना गया, तो उसे थाने से भगा दिया गया।

संदीप ने फिर पुलिस अधीक्षक संकल्प शर्मा से शिकायत की, जिसके बाद थाना प्रभारी ने उसे थाने बुलाया और बुरी तरह पीटा। संदीप का दावा है कि उसके साथ अमानवीय व्यवहार करते हुए मुंह में कपड़ा ठूंसकर डंडों से मारा गया और जातिसूचक गालियां दी गईं।

पुलिस की चुप्पी और मीडिया से दूरी –

जब इस पूरे मामले पर पुलिस का पक्ष जानने की कोशिश की गई, तो एसपी संकल्प शर्मा से संपर्क नहीं हो सका। पीआरओ ने भी जानकारी देने से इनकार करते हुए मीडिया सेल से संपर्क करने की सलाह दी।

प्रश्नों के घेरे में पुलिस –

  • अगर रिंकी को प्रताड़ित किया गया, तो आरोपी ससुराल वालों पर अब तक क्या कार्रवाई हुई?
  • अगर संदीप की बात सच है, तो एक रिपोर्ट दर्ज कराने पर उसे पुलिसिया बर्बरता क्यों झेलनी पड़ी?
  • क्या फूलबेहड़ थाना निष्पक्ष जांच करने में सक्षम है?

न्याय की दोहरी लड़ाई –

यह मामला केवल एक महिला की पीड़ा तक सीमित नहीं, बल्कि यह बताता है कि जब पीड़ित थाने में भी सुरक्षित न हो, तो न्याय तक पहुँचना कितना कठिन हो जाता है। दोनों पक्षों के आरोपों की गहन और निष्पक्ष जांच न केवल ज़रूरी है, बल्कि पुलिस तंत्र की साख को बचाए रखने के लिए भी अनिवार्य है।

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