
Gola Gokarnanath, Lakhimpur : चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, कानपुर के जमुनाबाद कैंपस स्थित कृषि विज्ञान केंद्र में मशरूम उत्पादन पर चल रहा विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम ग्रामीण युवाओं के लिए उम्मीद की नई किरण बनकर उभरा है। इस प्रशिक्षण का संयोजन डॉ. मोहम्मद सुहैल द्वारा किया जा रहा है, जिसमें जिले के डेढ़ दर्जन से अधिक युवक एवं युवतियां भाग ले रहे हैं।
कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए डॉ. सुहैल ने बताया कि मशरूम न केवल एक स्वादिष्ट खाद्य पदार्थ है बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी अत्यंत लाभकारी है। उन्होंने ओएस्टर और बटन प्रजातियों की खेती के बारे में विस्तृत जानकारी दी और बताया कि ये दोनों प्रजातियां किसानों के लिए आसान और लाभदायक विकल्प हैं। डॉ. सुहैल ने तकनीकी जानकारी साझा करते हुए कहा कि मशरूम उत्पादन मध्य सितंबर से फरवरी तक किया जा सकता है। इसमें प्रोटीन, विटामिन, खनिज, फाइबर और कम मात्रा में फैट होता है, जो शरीर को बीमारियों से दूर रखता है। कृषि प्रसार वैज्ञानिक डॉ. जियालाल गुप्ता ने मशरूम उत्पादन को ग्रामीण उद्यमिता के सशक्त माध्यम के रूप में प्रस्तुत किया।
उन्होंने कहा कि मांग के अनुसार इसका उत्पादन और सही मार्केटिंग रणनीति अपनाकर युवा आत्मनिर्भर बन सकते हैं। इसके नियमित सेवन से डायबिटीज और कोलेस्ट्रॉल जैसी बीमारियों में भी लाभ होता है। पशुपालन वैज्ञानिक डॉ. एन. के. त्रिपाठी ने बताया कि मशरूम उत्पादन के बाद बचा हुआ कंपोस्ट उत्तम जैविक खाद होता है, जो खेत की उर्वरता बढ़ाता है। उन्होंने प्रतिभागियों को मशरूम के साथ-साथ पशुपालन और दुग्ध व्यवसाय से भी जुड़ने की सलाह दी ताकि कम संसाधनों में अधिक आय प्राप्त की जा सके। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम न केवल रोजगार के नए अवसर प्रदान कर रहा है, बल्कि युवाओं को स्वस्थ जीवनशैली की ओर भी प्रेरित कर रहा है। प्रतिभागी इसे एक लाभकारी व्यवसाय के रूप में अपनाने की दिशा में अग्रसर हो रहे हैं।












