
लखीमपुर खीरी, गोला गोकर्णनाथ। गोला नगर के अलीगंज रोड स्थित रेलवे क्रॉसिंग पर लगभग हर दो घंटे में ऐसा मंजर बनता है। मानो शहर की रफ्तार थम जाती हो। पैसेंजर से लेकर मालगाड़ियों तक-हर ट्रेन के गुजरने के साथ ही फाटक बंद होता है और सड़क पर ट्रैफिक का सैलाब उमड़ पड़ता है। नतीजा-लंबा जाम, लोगों की बेबसी और जिम्मेदारों की खामोशी।
सड़क इतनी संकरी कि दो पहिए भी बमुश्किल निकलें
अलीगंज रोड पर मौजूद इस रेलवे फाटक के आसपास के ट्रैफिक का दबाव कई गुना बढ़ चुका है। रोड की चौड़ाई इतनी पर्याप्त नहीं है कि आम दिनों में भी जाम लग जाता है और ट्रेन आते ही हालात बद से बदतर हो जाते हैं। दोपहिया वाहन भी बमुश्किल निकल पाते हैं, चार पहियों का तो घंटों इंतजार तय है।
हर दिन यही हाल, फिर भी जिम्मेदार बेपरवाह
सुबह ऑफिस और स्कूल टाइम में जाम की स्थिति सबसे विकट हो जाती है। छात्र, कर्मचारी, मरीज—सब सड़क पर फंसे रहते हैं। कई बार एम्बुलेंस भी इस जाम में फंस चुकी हैं, लेकिन अब तक कोई स्थायी समाधान नहीं निकाला गया।
पुलिस नहीं, होमगार्ड के भरोसे ट्रैफिक
शहरवासियों का कहना है कि फाटक पर ट्रैफिक कंट्रोल करने के लिए अक्सर होमगार्ड ही तैनात रहते हैं, जिनके पास न तो उचित ट्रेनिंग है, न संसाधन। कई बार ट्रैफिक पुलिस मौजूद रहती है तो हालात थोड़े काबू में आते हैं, लेकिन वह दुर्लभ ही होता है।
फ्लाईओवर की मांग वर्षों पुरानी, लेकिन अब तक फाइल ही नहीं सरकी
स्थानीय निवासियों ने बताया कि उन्होंने कई बार शासन और प्रशासन से फ्लाईओवर की मांग की। कुछ साल पहले जनप्रतिनिधियों ने भी सर्वे कराने की बात कही थी, लेकिन आज तक न सर्वे हुआ, न बजट आया, और न ही निर्माण की कोई ठोस योजना दिखी।
स्थानीय लोगों का क्या कहना है?
शोभित जायसवाल, दुकानदार – “हमारे व्यापार पर असर पड़ रहा है। ग्राहक समय पर नहीं पहुंच पाते। रोज़ाना 2-3 घंटे का जाम होता है। अब और इंतजार नहीं कर सकते।”
पवन सक्सेना, शिक्षक – “हम समय से स्कूल नहीं पहुंच पाते। कई बार बच्चों को सड़क पर खड़ा छोड़कर फाटक खुलने का इंतजार करना पड़ता है।”
रवि तिवारी, ऑटो चालक – “एक जाम छूटता है तो दूसरा लग जाता है। और सवारी भी नहीं बैठती जब तक रास्ता साफ न हो।”