लखीमपुर खीरी : दुधवा के जंगलों में उभयचर उदविलावों का झुंड बना आकर्षण का केंद्र

लखीमपुर खीरी : तराई के घने जंगलों और अद्भुत जैव विविधता के लिए प्रसिद्ध दुधवा टाइगर रिजर्व एक बार फिर वन्य जीवन की संपन्नता का प्रतीक बनकर सामने आया है। यहां जहां बाघ, जंगली हाथी और भालू के दीदार पहले से ही पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बने रहते हैं, वहीं अब उभयचर वन्य जीव ‘उदविलावों’ का झुंड खुलेआम मस्ती करता हुआ दिखाई देने पर वनकर्मियों और प्रकृति प्रेमियों के बीच उत्साह का माहौल है।

क्षेत्रीय वन अधिकारी दक्षिण सोनारीपुर सुरेन्द्र कुमार द्वारा की जा रही नियमित पेट्रोलिंग और मॉनिटरिंग के दौरान यह नजारा देखने को मिला। झील किनारे पानी में तैरते और छलकते ये उदविलाव जब समूह में एक साथ खेलते नजर आए, तो पूरा दृश्य जैसे जंगल की जीवनशक्ति का जीवंत प्रतीक बन गया। श्री कुमार ने बताया कि “यह दृश्य इस बात का प्रमाण है कि दुधवा का पारिस्थितिक तंत्र स्वस्थ है और वन्य जीव यहां सुरक्षित वातावरण में स्वछंद जीवन व्यतीत कर रहे हैं।”

कैप्टिव एलीफेंट से होती है निगरानी

दुधवा प्रशासन द्वारा वन्य जीवों की सुरक्षा एवं निगरानी के लिए कैप्टिव एलीफेंट (पालित हाथियों) की सहायता ली जा रही है। ये हाथी जंगल के दुर्गम इलाकों में जाकर पेट्रोलिंग में सहयोग करते हैं। इससे शिकार जैसी गतिविधियों पर रोक लगती है और वन विभाग को सटीक निगरानी बनाए रखने में मदद मिलती है।

दो गैंडा पुनर्वास केंद्रों में 46 गैंडे

रिजर्व क्षेत्र में स्थापित दो गैंडा पुनर्वास केंद्र भी जैव विविधता संरक्षण की दिशा में बड़ी उपलब्धि हैं। वर्तमान में यहां 46 गैंडे विद्यमान हैं, जिनमें से 6 गैंडे (बच्चों सहित) केंद्र से बाहर निकलकर खुले जंगलों में स्वछंद विचरण करते देखे जा रहे हैं। यह इस बात का संकेत है कि दुधवा में वन्य जीवों को सुरक्षित और संतुलित वातावरण प्राप्त हो रहा है।

सह-अस्तित्व की कहानी कहता है जंगल

दुधवा के जंगलों में विभिन्न प्रजातियों का एक साथ रहना और एक-दूसरे के अस्तित्व का सम्मान करना, यहां के पर्यावरण संतुलन की सशक्त कहानी कहता है। उदविलावों का खुलेआम झीलों में खेलना, गैंडों का स्वतंत्र विचरण और बाघों की सक्रियता – सब मिलकर इस तथ्य को रेखांकित करते हैं कि दुधवा टाइगर रिजर्व न केवल जैव विविधता का घर है, बल्कि सह-अस्तित्व की जीवंत प्रयोगशाला भी है।

वन विभाग की टीम द्वारा किए जा रहे लगातार गश्त और संरक्षण उपायों के चलते आज दुधवा का जंगल एक बार फिर अपनी समृद्ध पारिस्थितिकी से दुनिया को संदेश दे रहा है – जब जंगल सुरक्षित, तभी जीवन सुरक्षित।

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