निघासन खीरी। निघासन में अवैध अस्पताल व पैथोलॉजी सेंटरों का मकड़जाल इस कदर फैला है कि मरीजों की जान भी बच पाना मुश्किल गुजरता है। कमीशनखोरी के चक्कर मे प्रसव से जूझती महिलाएं दम तोड़ देती है।जच्चा बच्चा दोनों की जान का खतरा बना रहता है। अभी हाल ही में जिलाधिकारी महेंद्र बहादुर सिंह ने अवैध अस्पतालों के खिलाफ कार्रवाई करने का फरमान जारी किया है बावजूद इसके नगर के सिंगाही ,ढखेरवा,पलिया आदि मार्गों पर अवैध अस्पतालों का संचालन किया जा रहा है।इसे रोकने में स्वास्थ्य विभाग नाकाम साबित हो रहा है।
डीएम के आदेश के बाद भी अवैध अस्पताल व पैथोलॉजी सेंटरों को सीज करने की कार्रवाई शुरू नही की गई। यहां मरीजों का शोषण भी खूब किया जाता है। जब ऐसी कोई अप्रिय घटना घटित हो जाती है तो मामले को दबाकर गुपचुप तरीके से पीड़ित परिजनों से सुलह करा ली जाती है।बताते चलें कि अभी कुछ माह पहले चुरा टांडा गांव की गर्भवती महिला ने नगर के ही एक अस्पताल में शिशु को जन्म दिया जिससे संचालक ने करीब 18 हजार रुपए की मांग की गई।पैसे न देने पर आशा के साथ मिलकर महिला को बंधक बना लिया गया। इसी हीलाहवाली में नवजात शिशु की मौत हो गई।
आशा बहुएं कराती है प्राइवेट अस्पतालों में भर्ती
प्रसव पीड़ा से तड़पती गर्भवती महिलाओं को लाने ले जाने की जिम्मेदारी सीएचसी के भीतर से ही शुरू होती यहां तैनात आशा बहुएं गर्भवती महिलाओं को अपने-अपने सेट अस्पतालों में ले जाकर डिलीवरी कराती है।कमीशन के चक्कर मे जच्चा बच्चा के जान का सौदा भी सरेआम किया जाता है। हालांकि अवैध अस्पतालों के संचालन से अब तक कई मौतें भी हो चुकी है। लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने अवैध अस्पतालों के खिलाफ अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर सका।
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कितने अवैध अस्पताल है यह बता पाना मुश्किल है। पहले रजिस्ट्रेशन वाले चेक किये जाएंगे तभी सम्भव है कितने अवैध हैं। फिलहाल अवैध निजी अस्पतालों के खिलाफ अभियान चलाकर कार्रवाई की जाएगी।
सीएचसी अधीक्षक
डॉक्टर पीके रावत