तिकुनिया की स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल, दवाइयों व इलाज के लिए भटक रहे मरीज
तिकुनिया खीरी क्षेत्र के करीब दर्जन भर से अधिक गांवों के इकलौते प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तिकुनिया पर न तो समय से डॉक्टर मिल रहे हैं, और न ही फार्माशिस्ट ऐसे में इन अस्पतालों पर आने वाले मरीजों को निजी अस्पतालों में इलाज कराना पड़ता है। भास्कर की पड़ताल में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की बदहाली सामने आ गई।प्राप्त जानकारी के अनुसार प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तिकुनिया में सुबह 11 बजे से अस्पताल में बरसोला कला गांव से इलाज के लिए आई कई महिलाओ ने बताया यहां डॉक्टर ही नहीं है। हम सब लोग बाहर बैठकर डॉक्टर के आने का इंतजार कर रहे है। उन्होंने यह भी बताया कि यहां रोज के यही हालात बन चुके हैं। अस्पताल में शौचालय, पेयजल की व्यवस्था भी बदहाल दिखी। साथ ही साथ आने वाले मरीजों के बैठने के लिए कुर्सियां अत्याधिक सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं होती है।
आखिर कब बहुरेंगें तिकुनियां पीएचसी के दिन
वर्षों से अपनी बदहाली पर आंसू बहाने वाले प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के दिन आखिर कब बहुरेंगें ये तो पता नही अस्पताल के पड़ोस के रहने वाले लोगों ने इसे कूड़ा फेकने का अड्डा जरूर बना रखा है साथ ही जरा सी बारिश होने पर यह अस्पताल एक भारी भरकम तालाब का रूप जरूर ले लेता है। प्रदेश में योगी सरकार के बनने पर लोगो ने उम्मीद जताई थी कि शायद अब इस बीमार अस्पताल का इलाज हो जाये पर पांच साल तो इसी इंतजार में गुजर में गये। हाँ प्रदेश के नये स्वास्थ्य मंत्री की कार्यशैली देख अब इस क्षेत्र के लोगों को इस अस्पताल से जुड़ी तमाम अपेक्षाएं सामने आयी हैं अब देखना यह है कि आखिर कब तेज़तर्रार स्वास्थ्य मंत्री जी की नज़र इस बीमार अस्पताल पर पड़ती है और कब इसका भी उद्धार होता है।
क्या कहते हैं सीएचसी अधीक्षक लालजी पासी
डा० अरविंद पटेल आज आये हैं कोर्ट एविडेंस देने तीन दिन के लिये निघासन अटैच किया गया है 3 दिन के लिए तिकुनिया किया गया, कल निघासन में थे आज कोर्ट एविडेंस देने गये हैं, रात में प्रकाश को लेकर जब सवाल किया गया तो बताया कि हो सकता है लाइट गड़बड़ हो अगर ऐसा है तो में सम्भवत: कल देखता हूँ ।
क्या कहते हैं लोग
जबसे ये बड़े-बड़े हॉस्पिटल खुल गए हैं तभी से एम्बुलेंस की आवाज़ भी सुनाई नही देती, पहले अरविंद पटेल जी थे उनका स्थानांतरण हो गया है, जब-जब हम गये हैं फार्माशिष्ट अवधेश जी मिले ही नही रजिस्टर केवल मैंटेन रहते हैं ।इरफान अहमद
दवा व डॉक्टर के चक्कर में मरीज भटकते हैं किसी गरीब को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से लाभ नही मिल पा रहा है अगर मरीज जाते भी है तो उनको घंटो डॉक्टर का इन्तेजार करना पड़ता है। दीपक कुमार
हमारे यहां अस्पताल में कुछ है ही नही न लाइट की व्यवस्था है, न कोई डॉक्टर है, न वहां देखने वाला कोई है, अभी कुछ दिन पहले एक मरीज को लेकर हम लोग पहुंचे तो वहां डॉक्टर ही नही मिले इससे उसकी जान चली गई । शफीक अहमद प्रधान