लखीमपुर खीरी। अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि स्थल पर भगवान श्री राम के भव्य मंदिर के वास्तुकार चंद्रकांत सोमपुरा ने भगवान शिव की नगरी छोटी काशी गोला गोकर्णनाथ में नागर शैली में सफेद संगमरमर और गुलाबी पत्थर का भव्य श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर बनाया था। 12 वर्षों तक बने इस देवालय की वास्तुकला अद्भुत और दर्शनीय है। 22 जनवरी को अयोध्या के श्री राम मंदिर में श्री रामलला की प्रतिमा की स्थापना और प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर रात्रि में इस देवालय को भी विद्युत बल्ब मालाओं से सजाकर दीप प्रज्वलित कर उत्सव मनाया जाएगा।
गोला गोकर्णनाथ छोटी काशी पर शोध प्रबंध लिखने वाले साहित्यकार पत्रकार लोकेश कुमार गुप्त ने बताया कि बजाज हिंदुस्थान शुगर लिमिटेड प्रांगण में बजाज परिवार द्वारा निर्मित करवाये गए इस देवालय का शिलान्यास 11 अप्रैल 1983 को रामेश्वर प्रसाद नेवटिया और उनकी पत्नी कमला देवी ने किया था। शिलान्यास के बाद मंदिर का निर्माण शुरू हुआ।
भगवान श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर के निर्माण के लिए सफेद संगमरमर के पत्थर राजस्थान के मकराना से और गुलाबी पत्थर राजस्थान के भरतपुर के बंसी डूंगरपुर से लाए गए थे जिन्हें तराशनें और जोड़कर मंदिर का रूप देने घिसाई कर चमकाने में 12 वर्ष का समय लगा। मंदिर का लोकार्पण 22 फरवरी 1997 को बद्रिकाश्रम के जगद्गुरु शंकराचार्य वासुदेवानंद सरस्वती ने किया था गुजरात के आचार्य विष्णु भाई पुष्करण ने भगवान श्री लक्ष्मी नारायण की सुंदर प्रतिमाओं की प्राण प्रतिष्ठा करवाई थी।
श्री गुप्त ने बताया कि जब इस मंदिर का निर्माण हो रहा था तब उन्हें चंद्रकांत सोमपुरा ने बताया था कि श्री राम जी की कृपा से उन्हें श्री राम जन्मभूमि पर मंदिर का प्रारूप बनाने का अवसर मिला है जिसे अयोध्या जाकर वह बिना फीते के कदमों से नाप कर बना रहे हैं श्री राम मंदिर का प्रारूप तो चंद्रकांत सोमपुरा ने बनाया है जबकि निर्माण चंद्रकांत सोमपुरा के दिशा निर्देशन में लार्सन ऐंड टुब्रो कंपनी कर रही है।
25 सौ वर्ष पूर्व की नागर शैली में बना है देवाल
भगवान श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर 25 सौ वर्ष पूर्व की नागर शैली में बना है मंदिर के आगे अष्टकोणीय मंडप है जिसके स्तम्भ सफेद संगमरमर के और शिखर गुलाबी पत्थर का है ।मंडप के स्तम्भों पर नृत्य करती, ढोल बजाती, भजन गाती महिलाओं की सुंदर आकृतियां उकेरी गई हैं। मंदिर के चतुर्दिक देवी देवताओं की आकृतियां हैं जिनका सौंदर्य देखते ही बनता है।
सोमपुरा परिवार बनाता है सिर्फ मंदिर
चंद्रकांत सोमपुरा अहमदाबाद गुजरात के पालीताणा के निवासी हैं उनके साथ उनके बेटे निखिल सोमपुरा और आशीष सोमपुरा भी मंदिर के शिल्पकार है सोमपुरा परिवार सिर्फ मंदिर के प्रारूप और निर्माण का कार्य करता है। चंद्रकांत सोमपुरा के पिता प्रभा शंकर सोमपुरा ने गुजरात का प्रसिद्ध सोमनाथ मंदिर निर्माण किया था। अयोध्या में श्री राम मंदिर का पहला प्रारूप चंद्रकांत सोमपुरा ने वर्ष 19 88 में बनाया था प्रारूप में कई बार परिवर्तन हो चुका है। चंद्रकांत सोमपुरा अब तक सौ से अधिक मंदिर निर्माण कर चुके हैं जिनमें गांधीनगर का स्वामीनारायण मंदिर पालमपुर का अंबा माता मंदिर बिडला परिवार के कई मंदिरों का निर्माण कर चुके हैं।