लखीमपुर खीरी : व्यापारी संघ का बड़ा फैसला ‘खाद की थोक दरों पर स्पष्ट नीति न बनने तक बंद रहेगा खुदरा व्यापार’

लखीमपुर खीरी। खाद की थोक दरों को लेकर खुदरा कृषि व्यापारियों में गहरी नाराजगी देखने को मिल रही है। बढ़ती लागत और दर निर्धारण में पारदर्शिता की कमी को लेकर लखीमपुर खीरी के खुदरा कृषि व्यापारी एसोसिएशन ने कड़ा रुख अख्तियार करते हुए आगामी 26 जून से खाद का खुदरा व्यापार पूरी तरह से बंद रखने की चेतावनी दी है।

एसोसिएशन ने जिलाधिकारी और कृषि विभाग के एडीओ को ज्ञापन सौंपा, जिसमें डीओ साहब भी मौके पर मौजूद रहे। ज्ञापन में स्पष्ट किया गया है कि जब तक सरकार सभी ब्रांड की खाद—विशेषकर यूरिया, डीएपी, एनपीके और सुपर खाद—की थोक दरें सार्वजनिक रूप से घोषित नहीं करती, तब तक जिले में खाद का विक्रय नहीं किया जाएगा।

एसोसिएशन के अध्यक्ष संदीप कुमार शुक्ला द्वारा भेजे गए पत्र में कहा गया है कि खुदरा विक्रेताओं को तो सरकार द्वारा तय दरों पर खाद देने के लिए बाध्य किया जाता है, लेकिन थोक दरों को लेकर अब तक कोई स्पष्ट नीति नहीं है। ज्ञापन में यह भी बताया गया कि थोक विक्रेता यूरिया की एक बोरी 270 से 300 रुपये तक देते हैं, जिसमें टैगिंग की बाध्यता, परिवहन और श्रमिक खर्च जोड़ने के बाद लागत 315 रुपये तक पहुंच जाती है, जबकि सरकार द्वारा तय फुटकर मूल्य मात्र 266.50 रुपये प्रति बोरी है। इस व्यवस्था में खुदरा व्यापारी हर बोरी पर बड़ा घाटा झेल रहे हैं।

व्यापारी संघ का कहना है कि थोक दर निर्धारण की यह मांग कोई नई नहीं है। बीते दो वर्षों से वे लगातार प्रशासन और कृषि विभाग को ज्ञापन देकर इस विषय पर ठोस निर्णय की मांग कर रहे हैं, लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं निकाला गया है। महासचिव मलिक मोहम्मद साकिब ने कहा कि यह हड़ताल सरकार या किसानों के खिलाफ नहीं है, बल्कि व्यापार के अस्तित्व की लड़ाई है। “हम सरकार और किसानों के साथ हैं, लेकिन व्यापार घाटे में नहीं कर सकते,” उन्होंने कहा।

एसोसिएशन के अन्य पदाधिकारियों—कोषाध्यक्ष हरदयाल गुप्ता, उपाध्यक्ष करुणेश गुप्ता, उमेश शर्मा और संयोजक नीरज कुमार गुप्ता—ने भी इस आंदोलन को संगठनात्मक बताते हुए इसका पूर्ण समर्थन जताया और कहा कि जब तक सरकार थोक दरें निर्धारित नहीं करती, जिले भर के सभी खुदरा विक्रेता खाद का विक्रय बंद रखेंगे।

वर्तमान स्थिति को देखते हुए प्रशासन की भूमिका बेहद अहम हो गई है। एक ओर जिले के किसान खरीफ सीजन की तैयारियों में जुटे हैं, वहीं दूसरी ओर खाद वितरण व्यवस्था ठप होने की आशंका ने चिंता बढ़ा दी है। अब निगाहें प्रशासन पर टिकी हैं कि वह इस समस्या का शीघ्र समाधान निकालकर खाद व्यापारियों और किसानों के हितों का संतुलन कैसे साधता है।

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