
Lakhimpur Kheri : उ.प्र. ग्राम पंचायत अधिकारी संघ एवं ग्राम विकास अधिकारी एसोसिएशन उत्तर प्रदेश के आह्वान पर शुक्रवार, 05 दिसंबर 2025 को कुम्भी ब्लॉक के ग्राम पंचायत सचिवों के प्रतिनिधिमंडल ने उत्तर प्रदेश शासन के मुख्य सचिव को संबोधित 11 सूत्रीय ज्ञापन सौंपा। यह ज्ञापन लखीमपुर खीरी के कुम्भी गोला ब्लॉक में खंड विकास अधिकारी आत्मप्रकाश रस्तोगी को सौंपा गया, जिसके माध्यम से इसे जिलाधिकारी खीरी व शासन स्तर तक प्रेषित किया जाएगा। सचिवों ने ऑनलाइन उपस्थिति व्यवस्था लागू किए जाने और बिना संसाधनों के अतिरिक्त विभागीय कार्यों का दबाव बढ़ाए जाने पर कड़ी आपत्ति दर्ज की।
प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि ग्राम सचिव का कार्य पूर्णत: फील्ड आधारित होता है और एक सचिव औसतन 4 से 9 ग्राम पंचायतों की जिम्मेदारी संभालता है। ऐसे में किसी निर्धारित स्थान और समय पर ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज कर पाना तकनीकी एवं व्यवहारिक दोनों दृष्टि से संभव नहीं है। यह भी कहा गया कि ग्राम पंचायत स्तर पर लेखपाल, शिक्षक, कृषि, गन्ना व पशुपालन विभाग के फील्ड अधिकारी भी कार्यरत हैं, लेकिन ऑनलाइन उपस्थिति की अनिवार्यता केवल ग्राम पंचायत सचिवों पर थोपना पूरी तरह अन्यायपूर्ण और असमान व्यवस्था है।
ज्ञापन में यह भी उल्लेख किया गया कि सचिवों द्वारा उपयोग में लाई जा रही मोबाइल फोन एवं सिम निजी संपत्ति होती हैं, जो व्यक्तिगत डेटा, बैंकिंग और आधार से जुड़ी रहती हैं। ऐसे में थर्ड पार्टी ऐप को मोबाइल एक्सेस देना निजता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन होने के साथ-साथ साइबर अपराध एवं वित्तीय धोखाधड़ी का गंभीर जोखिम भी उत्पन्न करता है। इसलिए ऑनलाइन उपस्थिति के लिए निजी मोबाइल के उपयोग को किसी भी स्थिति में बाध्यकारी नहीं बनाया जाना चाहिए।
सचिवों ने कार्यभार का विवरण देते हुए बताया कि वे 29 से अधिक विभागीय कार्य संचालित करते हैं, जिनमें मनरेगा, प्रधानमंत्री/मुख्यमंत्री आवास योजना, स्वच्छ भारत मिशन, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन, जन्म-मृत्यु पंजीकरण, पेंशन योजनाएं, आयुष्मान, कृषि व किसान सर्वे, पराली प्रबंधन, गौशाला संचालन, आपदा कार्यों सहित विभिन्न विभागीय बैठकों में भागीदारी शामिल है। प्रतिनिधियों के अनुसार अत्यधिक कार्यभार के चलते संवर्ग पर मानसिक दबाव और स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियाँ लगातार बढ़ रही हैं।
सचिवों की मांग है कि ग्राम पंचायत सचिव को केवल पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास विभाग की योजनाओं का उत्तरदायित्व दिया जाए तथा अन्य विभागों के कार्यों की जिम्मेदारी उनके संबंधित फील्ड स्टाफ को सौंपी जाए। इसके अलावा सचिवों ने वाहन भत्ता, मोबाइल भत्ता एवं CUG सिम उपलब्ध कराने की मांग भी उठाई, ताकि फील्ड कार्य के दौरान होने वाले खर्च का उचित वहन किया जा सके।
सेवा शर्तों से जुड़े मुद्दों का उल्लेख करते हुए सचिवों ने कहा कि करोड़ों की योजनाओं के संचालन और वित्तीय प्रबंधन को देखते हुए ग्राम पंचायत अधिकारी एवं ग्राम विकास अधिकारी संवर्ग की शैक्षिक योग्यता स्नातक निर्धारित की जाए और पद को पे मैट्रिक्स-5 में समायोजित किया जाए। साथ ही समान शैक्षिक योग्यता होने के बावजूद विभिन्न सहायक विकास अधिकारियों के ग्रेड वेतन में असमानता को समाप्त कर समान ग्रेड वेतन लागू करने की भी मांग की गई।
प्रतिनिधियों ने कहा कि मनरेगा कार्यों में अनियमितताओं के मामलों में केवल सचिवों पर वसूली और कार्रवाई थोपना उचित नहीं है, क्योंकि FTO जनरेशन और संयुक्त डिजिटल हस्ताक्षर के कारण खंड विकास अधिकारी और लेखाकार दोनों की समान जवाबदेही तय होनी चाहिए। इसके साथ ही वर्षों से लंबित ऑडिट आपत्तियों के निस्तारण हेतु ग्राम पंचायतों का ऑडिट चार्टर्ड अकाउंटेंट या सोशल ऑडिटर के माध्यम से कराने की वैकल्पिक व्यवस्था की मांग भी उठाई गई।
अंत में सचिवों ने सरकार से अनुरोध किया कि ऑनलाइन उपस्थिति प्रणाली को तत्काल प्रभाव से रोककर संघ के प्रतिनिधियों के साथ संवाद स्थापित किया जाए, ताकि समस्याओं का व्यवहारिक एवं न्यायपूर्ण समाधान संभव हो सके और योजनाओं के क्रियान्वयन तथा सचिवों की कार्यकुशलता पर प्रतिकूल प्रभाव न पड़े। प्रतिनिधिमंडल ने आशा व्यक्त की कि शासन संवर्ग की मांगों पर संवेदनशीलता के साथ गंभीर निर्णय लेगा।
इस मौके पर सर्वेश कुमार, कमलेश श्रीवास्तव, शिवाय गुप्ता, रामानंद यादव, सुरभि गौर, राजीव मुकुल, अंकित श्रीवास्तव, प्रियम शुक्ला, राघवेन्द्र प्रताप वर्मा सहित अन्य ग्राम पंचायत सचिव कुम्भी उपस्थित रहे।










