
- लखीमपुर खीरी में हृदयरोग विशेषज्ञ की तैनाती अब भी अधूरी
- 45 लाख की आबादी गंभीर संकट में, हृदयाघात से हुई थी पत्रकार की मौत
लखीमपुर खीरी। जिले की जनसंख्या लगभग 45 लाख है। आज भी हृदयरोग विशेषज्ञ जैसे आवश्यक चिकित्सक की अनुपलब्धता से जूझ रहा है। आकस्मिक हृदयाघात की स्थिति में जिले के मरीजों को तत्काल उपचार न मिल पाने के कारण जान का जोखिम बना रहता है।
इस गंभीर समस्या को लेकर जागरूक नागरिक एवं समाचार पत्र के पत्रकार एन. के. मिश्र ने वर्ष 2014 में राज्यपाल राम नाईक को एक अनुरोध पत्र भेजा था, जिसके साथ इस विषय पर समाचार भी प्रकाशित किया गया था। राज्यपाल महोदय ने इस पर संज्ञान लेते हुए प्रमुख सचिव, स्वास्थ्य उत्तर प्रदेश को आवश्यक कार्यवाही हेतु पत्र लिखा था।
दुर्भाग्यवश, एक दशक बीत जाने के बाद भी इस दिशा में कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया गया है। हृदय संबंधी आपात स्थितियों में मरीजों को अन्य शहरों में रेफर करना पड़ता है, जिससे समय पर इलाज न मिल पाने के कारण कई बार जान तक चली जाती है।
श्री मिश्र ने पुनः इस विषय पर चिंता व्यक्त करते हुए जनप्रतिनिधियों और शासन-प्रशासन से अपील की है कि वे तत्काल इस दिशा में ठोस पहल करें, ताकि जनपद लखीमपुर खीरी के नागरिकों को सुलभ और विशेषज्ञ हृदय चिकित्सा सेवाएं मिल सकें।
हृदय रोग विशेषज्ञों की कमी बनी जानलेवा, कई युवाओं व बुज़ुर्गों की गई जान
जिले में हृदय रोग विशेषज्ञों (कार्डियोलॉजिस्ट) की भारी कमी अब जानलेवा साबित हो रही है। हाल के महीनों में हृदयाघात के कई मामलों में समय पर इलाज न मिलने के कारण युवा, जवान और बुज़ुर्ग अपनी जान गंवा चुके हैं।
अस्पतालों में न तो आवश्यक सुविधाएं हैं और न ही अनुभवी हृदय रोग विशेषज्ञ। जिला अस्पताल से लेकर ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्र तक, हृदय से जुड़ी आपातकालीन स्थितियों से निपटने के लिए कोई पर्याप्त व्यवस्था नहीं है।
जिलावासियों का कहना है कि हृदय रोग अब केवल बुज़ुर्गों तक सीमित नहीं रहा। 30 से 45 वर्ष की उम्र के युवाओं में भी हृदयाघात के मामले बढ़े हैं, और विशेषज्ञों की अनुपस्थिति में इलाज मिलना नामुमकिन जैसा हो गया है।
लोगों की मांग है कि तत्काल लखीमपुर खीरी में एक हृदय रोग यूनिट की स्थापना की जाए, विशेषज्ञ डॉक्टरों की तैनाती हो और 24×7 आपातकालीन सेवाएं शुरू की जाएँ।
बता दें, हाल ही में जेबीगंज निवासी युवा पत्रकार अजय द्विवेदी की हृदयाघात से असमय मौत हो गई, जिससे पत्रकारिता जगत और जिलेभर में शोक की लहर दौड़ गई।
बताया जा रहा है कि अजय द्विवेदी को अचानक सीने में तेज़ दर्द हुआ। परिजन उन्हें तुरंत नज़दीकी अस्पताल लेकर पहुँचे, लेकिन वहां हृदय रोग विशेषज्ञ (कार्डियोलॉजिस्ट) मौजूद नहीं था। समय पर इलाज न मिलने के कारण उनकी हालत बिगड़ती गई और अंततः उन्होंने दम तोड़ दिया।
स्थानीय पत्रकारों का कहना है कि अगर जिले में उचित कार्डियोलॉजिकल सुविधा होती, तो अजय की जान बचाई जा सकती थी।
“हमने एक होनहार साथी को खो दिया, सिर्फ इसलिए क्योंकि सिस्टम समय पर इलाज नहीं दे सका,” एक साथी पत्रकार ने आंसुओं के साथ कहा।
यह अकेला मामला नहीं है। लखीमपुर खीरी में कार्डियोलॉजिस्ट की कमी वर्षों से बनी हुई है। सरकारी अस्पतालों में इस सुविधा का घोर अभाव है, और निजी अस्पतालों में इलाज आम आदमी की पहुँच से बाहर है। अजय की मौत ने इस समस्या को एक बार फिर सामने लाकर खड़ा कर दिया है।
जनता की मांग
- जिला अस्पताल में तत्काल कार्डियोलॉजिस्ट की नियुक्ति
- 24×7 हार्ट इमरजेंसी यूनिट की व्यवस्था
- ग्रामीण इलाकों में भी प्राथमिक हृदय उपचार की सुविधा
अब तक स्वास्थ्य विभाग या जिला प्रशासन की ओर से कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं आई है। लोगों का कहना है कि यदि जल्द कदम नहीं उठाए गए, तो और भी निर्दोष लोगों की जान जा सकती है।