Lakhimpur : छोटी काशी कॉरिडोर का निरीक्षण, गुणवत्ता और समय-सीमा पर विशेष जोर

  • प्रबुद्ध जल समिति की टीम ने भोलेनाथ की पूजा कर कार्य का लिया जायजा, दिए सख्त निर्देश

Gola Gokarnath, Lakhimpur : छोटी काशी के नाम से प्रसिद्ध गोला गोकर्णनाथ स्थित निर्माणाधीन भव्य कॉरिडोर का मंगलवार को प्रबुद्ध जल समिति की टीम ने निरीक्षण किया। राजधानी लखनऊ से आई टीम ने निरीक्षण की शुरुआत भगवान भोलेनाथ की विधिवत पूजा-अर्चना कर की। इसके उपरांत समिति ने कॉरिडोर परिसर का बारीकी से अवलोकन करते हुए निर्माण कार्य की प्रगति और गुणवत्ता का गहन निरीक्षण किया।

निरीक्षण टीम का नेतृत्व एक सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी ने किया। उनके साथ मुख्य विकास अधिकारी, परियोजना निदेशक एवं अन्य संबंधित अधिकारी मौजूद रहे। टीम ने निर्माण स्थल पर मौजूद कार्यदायी संस्था के अधिकारियों से विस्तृत जानकारी ली और निर्माण की हर गतिविधि का सूक्ष्म अवलोकन किया।

गुणवत्ता से नहीं होगा कोई समझौता

निरीक्षण के दौरान समिति ने साफ शब्दों में निर्देश दिए कि निर्माण कार्य की गुणवत्ता से किसी भी स्तर पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा। समिति ने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि किसी भी प्रकार की लापरवाही पाई गई तो संबंधित विभाग एवं संस्था की जवाबदेही तय की जाएगी।

समय-सीमा के भीतर हो कार्य पूर्ण

समिति ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि निर्माण कार्य को तय समय-सीमा के भीतर हर हाल में पूर्ण किया जाए, ताकि श्रद्धालुओं को शीघ्र ही इस भव्य कॉरिडोर की सुविधाएं उपलब्ध कराई जा सकें। निरीक्षण के दौरान कॉरिडोर की डिज़ाइन, सामग्रियों की गुणवत्ता, सीवरेज और जल निकासी की व्यवस्थाओं पर विशेष ध्यान दिया गया।

श्रद्धालुओं को मिलेगा बेहतर अनुभव

छोटी काशी कॉरिडोर का निर्माण कार्य पूरा होने के पश्चात न केवल शहर की धार्मिक पहचान को और बल मिलेगा, बल्कि यहां आने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों को भी एक अत्याधुनिक और सुविधाजनक वातावरण प्राप्त होगा। समिति ने यह भी संकेत दिया कि निर्माण के बाद यह स्थल राज्य के प्रमुख धार्मिक पर्यटन स्थलों में शामिल हो सकता है।
निरीक्षण के प्रमुख बिंदुओं में निर्माण कार्य की गुणवत्ता पर विशेष जोर,
निर्धारित समय में कार्य पूर्ण करने के दिए निर्देश,
श्रद्धालुओं के लिए विश्वस्तरीय सुविधाओं की व्यवस्था का लक्ष्य तय किया गया

एसडीएम युगांतर त्रिपाठी ने बताया “छोटी काशी का यह कॉरिडोर केवल एक निर्माण परियोजना नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर को सहेजने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। शासन प्रशासन इसकी गुणवत्ता और समय-सीमा दोनों पर गंभीर हैं।” निरीक्षण के बाद समिति ने सभी अधिकारियों को पुनः बैठक में बुलाकर विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने और प्रत्येक कार्य की समय-सीमा निर्धारित करने के निर्देश भी दिए। अब सभी की निगाहें इस पर टिकी हैं कि यह परियोजना कब तक श्रद्धालुओं के स्वागत के लिए पूरी तरह तैयार होगी।

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