
लखीमपुर खीरी। जनपद के मैगलगंज क्षेत्र में स्थित एनएच-30 लखनऊ-बरेली नेशनल हाइवे के किनारे गैस पाइपलाइन को भूमिगत करने का कार्य फिर शुरू कर दिया गया। लगभग पांच माह पूर्व वन विभाग की भूमि पर लगे सैकड़ों पेड़ जेसीबी मशीनों की भेंट चढ़ गए थे। जिसकी खबर सोशल मीडिया में वायरल होने के बाद काम बंद कर दिया गया था। इस बार फिर गैस पाइपलाइन को भूमिगत करने के लिए की जा रही खुदाई के दौरान हरे-भरे छायादार पेड़ों को बेरहमी से जड़ से उखाड़ा जा रहा है। हैरत की बात यह है कि यह सब दिनदहाड़े हो रहा है, लेकिन वन विभाग के अधिकारी मौन हैं।
एमएच-30 के किनारे वन विभाग द्वारा वर्षों पहले किए गए वृक्षारोपण के तहत लगाए गए सैकड़ों वृक्षों को उजाड़ा जा रहा है। गैस पाइपलाइन को भूमिगत करने वाली कार्यदायी संस्था ने जेसीबी मशीनों की सहायता से बीते दिसंबर माह में कई वृक्षों को जड़ से उखाड़ दिया था, जबकि कई वृक्षों की शाखाएं काटकर उन्हें पूरी तरह से क्षतिग्रस्त कर दिया था। जिसकी खबर सोशल मीडिया में वायरल होने के बाद कार्यदायी संस्था को काम बीच में ही छोड़ना पड़ा था।
लेकिन अब, बिना किसी कार्रवाई के भय के, दोबारा उसी प्रक्रिया को दोहराया जा रहा है। जिससे वन विभाग की चुप्पी पर सवाल उठते नजर आ रहे हैं। आखिर क्यों एक जिम्मेदार सरकारी विभाग होते हुए भी पर्यावरण की इस बर्बादी पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही? क्या कार्यदायी संस्था को वन क्षेत्र में पेड़ों को काटने की अनुमति प्राप्त है? अगर नहीं, तो फिर यह सीधा कानून का उल्लंघन है। सामाजिक कार्यकर्ताओं और पर्यावरण प्रेमियों ने इस मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है।
उनका कहना है कि वन विभाग ही अपने पेड़ों को उजाड़ने पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहा तो आने वाले वर्षों में हरियाली खत्म हो जाएगी और पर्यावरण असंतुलन गहराता चला जाएगा। जब इस बावत मैगलगंज वन रेंज के दरोगा विनोद भारती से बात की गई तो उन्होंने बताया कि वह जिला मुख्यालय पर आए हैं यदि पेड़ क्षतिग्रस्त हुए हैं तो उसका जुर्माना वसूल किया जाएगा।
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