
Gola Gokarnath, Lakhimpur : शहर की गलियों में शनिवार को भक्ति, उल्लास और श्रद्धा की सरिता बहती नजर आई। ‘गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ’ के जयकारों और ढोल-नगाड़ों की गूंज के साथ गणपति बप्पा को विदाई दी गई। गोला गोकर्णनाथ में गणेश विसर्जन यात्रा ने उत्सव के समापन को अविस्मरणीय बना दिया।
गुलाल की बारिश, भक्ति में रमा शहर
सुबह से ही पंडालों और घरों में आरती और पूजा-अर्चना का दौर शुरू हो गया था। गणेश महोत्सव के अंतिम दिन श्रद्धालुओं ने भगवान गणपति की पूजा विधिविधान से की। इसके बाद गणपति प्रतिमाओं को ढोल-नगाड़ों, गाजे-बाजे और गुलाल की फुहारों के बीच विसर्जन यात्रा पर निकाला गया। कृष्ण वाटिका सहित शहर के प्रमुख स्थानों से विसर्जन यात्रा शुरू हुई।
नाचते-गाते भक्तों का सैलाब
शहर में निकली शोभायात्रा में बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक की टोलियाँ शामिल रहीं। हर कोई बप्पा के जयकारों में लीन था। महिलाओं ने पारंपरिक वेशभूषा में भाग लिया और मंगलगीतों से माहौल को भक्तिमय बनाया। नाचते-गाते, अबीर-गुलाल उड़ाते भक्तों की टोली जब-जब आगे बढ़ती, लोग सड़कों के किनारे खड़े होकर उत्साहवर्धन करते।
नहर घाट पर हुआ विसर्जन
शाम होते-होते प्रतिमाएं नगर भ्रमण करते हुए नहर घाट तक पहुंचीं, जहां वैदिक मंत्रोच्चार और विधिपूर्वक पूजन के बाद बप्पा को जल में विसर्जित किया गया। इस दौरान कई भक्तों की आंखें नम हो गईं, लेकिन चेहरे पर अगले वर्ष फिर बप्पा के स्वागत की उम्मीद साफ झलक रही थी।
कई दिनों तक चला गणेश महोत्सव
‘छोटी काशी’ कहे जाने वाले गोला में गणेश चतुर्थी से शुरू हुआ यह आयोजन लगातार कई दिनों तक श्रद्धा और भक्ति से भरा रहा। सार्वजनिक पंडालों के साथ-साथ घरों में भी गणपति बप्पा की स्थापना कर पूजन किया गया। लड्डुओं का भोग लगा, भजन-कीर्तन हुए और हर शाम आरतियों से शहर गूंज उठा।
व्यवस्था रही दुरुस्त, प्रशासन रहा मुस्तैद
विसर्जन यात्रा के दौरान सुरक्षा की दृष्टि से पुलिस बल तैनात रहा। नगर पालिका की टीम ने सफाई व्यवस्था को बनाए रखा और ट्रैफिक पुलिस ने मार्गों पर यातायात को नियंत्रित किया, जिससे श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो।