
- डॉ. सुजीत प्रताप सिंह ने खेतों का भ्रमण कर किसानों को दी महत्वपूर्ण सलाह
गोला गोकर्णनाथ, लखीमपुर। क्षेत्र के गन्ना किसानों के लिए बुधवार का दिन बेहद ज्ञानवर्धक और उपयोगी रहा जब उत्तर प्रदेश गन्ना शोध परिषद, शाहजहांपुर के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. सुजीत प्रताप सिंह (पादप एवं कीट रोग विशेषज्ञ) ने गोला चीनी मिल क्षेत्र के विभिन्न गांवों का दौरा कर खेतों में गन्ने पर लगने वाले कीट व रोगों की पहचान और उनके निदान की विस्तार से जानकारी दी।
डॉ. सिंह ने ग्राम गिरधरपुर, सरकारपुर, सिद्धनपुर, तिलकपुर, धर्मपुर, बेलाबोझी, कपरहा समेत कई गांवों का भ्रमण किया और वहां के प्रगतिशील कृषकों – आनंद त्रिवेदी, लालजी वर्मा, परसादी लाल, ज्ञानी जी इत्यादि के खेतों में जाकर गन्ने की फसलों की स्थिति का मूल्यांकन किया। प्रगतिशील कृषक तुलसीराम के फार्म, ग्राम धर्मपुर में आयोजित कृषक गोष्ठी में डॉ. सिंह ने “चोटी बेधक कीट” (टॉप शूट बोरर) से फसल को बचाने के लिए यांत्रिक नियंत्रण के तहत प्रभावित पौधों को शीघ्र काटने और नष्ट करने की सलाह दी। इसके साथ ही कीटनाशक कोराजन या सुपर सिक्सर की ड्रेंचिंग करने का सुझाव भी दिया गया।
पोक्का बोइंग जैसे रोग के नियंत्रण हेतु कॉपर ऑक्सीक्लोराइड या अन्य प्रभावी फफूंदनाशक (जैसे प्रिज्म) का पर्णीय छिड़काव करने की बात कही गई। डॉ. सिंह ने स्पष्ट किया कि इस समय गन्ना प्रजाति Co 0238 के खेतों में अभी तक लाल सड़न रोग के लक्षण नहीं पाए गए हैं।
डॉ. सिंह ने लाल सड़न रोग की शुरुआती पहचान — पत्तियों के मध्य सिरे पर लाल धब्बे — के बारे में जानकारी दी और बचाव के लिए संक्रमित पौधों को जड़ सहित उखाड़कर नष्ट करने, मिट्टी में ब्लीचिंग पाउडर डालने या प्रिज्म की ड्रेंचिंग करने तथा सिंचाई जल में ट्राइकोडर्मा का प्रयोग करने की सलाह दी।
उन्होंने ब्लैक बग (काला चिकटा) की पहचान और उसके प्रकोप की जानकारी दी — ये कीट काले रंग के होते हैं और इनके पृष्ठ भाग पर सफेद धब्बे होते हैं। इसके अलावा थ्रिप्स की पहचान, जो पत्तियों के अग्र भाग को भाले के आकार जैसा बना देते हैं, भी कराई गई। इन कीटों से बचाव के लिए क्लोरोसायपर या एमिडाक्लोप्रिड का पर्णीय छिड़काव करने की सलाह दी गई।
वरिष्ठ महाप्रबंधक (गन्ना) श्री पी.एस. चतुर्वेदी ने गन्ना उत्पादकता बढ़ाने हेतु मृदा परीक्षण के आधार पर संतुलित उर्वरक उपयोग की बात कही तथा एनपीके विलेय उर्वरक का पर्णीय छिड़काव करने का सुझाव दिया। उन्होंने किसानों से अपील की कि वे अपने खेतों में गन्ना सर्वे अवश्य दर्ज कराएं और चीनी मिल द्वारा उपलब्ध कराए जा रहे एग्री-इनपुट्स का उपयोग करें।
इस अवसर पर चीनी मिल के सहायक महाप्रबंधक गन्ना ओ.डी. शर्मा, प्रबंधक गन्ना सत्येंद्र कुमार मिश्र, संजीव चौधरी और सिवांसु शुक्ला भी उपस्थित रहे जिन्होंने किसानों को हर संभव तकनीकी सहायता देने का आश्वासन दिया।
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