लखीमपुर : 50-100 रुपए में बिक रही स्वास्थ्य की विश्वसनीयता, धड़ल्ले से बन रहे फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट

  • गोला नगर में खुटार, मोहम्मदी और लखीमपुर रोड पर स्थित अस्पतालों में खुलेआम हो रहा फर्जीवाड़ा

लखीमपुर खीरी। जिले के गोला नगर सहित आस-पास के क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की आड़ में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। खुटार रोड, मोहम्मदी रोड, लखीमपुर रोड और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) वाली रोड पर संचालित कुछ अवैध अस्पतालों में 50 से 100 रुपए में फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट बनाए जा रहे हैं। यह कार्य इतनी सहजता और निर्भीकता से किया जा रहा है कि प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की आंखें अब तक इस ओर नहीं उठी हैं।

आशा बहुओं से गठजोड़, डिलीवरी के नाम पर वसूली

प्राप्त जानकारी के अनुसार, इन अस्पतालों का नेटवर्क आशा बहुओं के माध्यम से भी फैला हुआ है। ये संस्थान गर्भवती महिलाओं की डिलीवरी अपने यहां कराने के लिए आशा कार्यकर्ताओं से संपर्क करते हैं और फिर उनसे भारी-भरकम धन वसूलते हैं। इनका डायग्नोस्टिक सेंटर्स से भी गठजोड़ है, जहां जांच रिपोर्टों में मनमाने फेरबदल कर मरीजों को अनावश्यक इलाज में उलझाया जाता है।

फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट बनाना बना नया धंधा

अब इन संस्थानों ने नया रास्ता अपनाया है — सस्ते दामों पर फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट जारी करना। कोई भी व्यक्ति मात्र 50 से 100 रुपए में मनचाहा मेडिकल प्रमाणपत्र प्राप्त कर सकता है, चाहे उसे वास्तव में उसकी आवश्यकता हो या नहीं। ये सर्टिफिकेट स्कूलों, नौकरियों, या अन्य औपचारिकताओं में प्रस्तुत किए जा रहे हैं, जिससे पूरी व्यवस्था की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न लग रहा है।

गोला सीएचसी प्रभारी डॉक्टर गणेश ने दी चेतावनी

इस गंभीर विषय पर गोला सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) के प्रभारी डॉ. गणेश ने स्पष्ट किया कि:

“मेडिकल सर्टिफिकेट जारी करने का अधिकार केवल किसी प्रशिक्षित और पंजीकृत डॉक्टर को होता है। यदि प्रमाणपत्र उन दवाओं और इलाज के आधार पर नहीं दिया गया है, जिनकी पुष्टि चिकित्सा विभाग करता है, तो यह धोखाधड़ी की श्रेणी में आता है और इस पर कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।”

उन्होंने आगे बताया कि यदि किसी भी व्यक्ति या संस्था के खिलाफ इस प्रकार की फर्जी गतिविधि की शिकायत मिलती है, तो तत्काल जांच कर सख्त कार्यवाही की जाएगी।

प्रशासनिक चुप्पी और जनस्वास्थ्य पर खतरा

सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि प्रशासन और चिकित्सा अधिकारियों की ओर से अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। आम जनता का कहना है कि यदि इस तरह की गतिविधियों पर समय रहते लगाम नहीं लगाई गई, तो न सिर्फ स्वास्थ्य व्यवस्था कमजोर होगी बल्कि समाज में अविश्वास की भावना भी गहराएगी।

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