लखीमपुर : छह महीने से बकाया भुगतान न मिलने पर गौपालक ने लगाई मुख्यमंत्री से गुहार

  • 6 महीने से नहीं मिला गौ-पालन का बकाया भुगतान, कहा- खुद के खर्चे पर कर रहा हूं देखभाल

गोला गोकर्णनाथ, लखीमपुर : ब्लॉक कुंभी क्षेत्र के ग्राम रामखेड़ा निवासी झम्मा लाल ने सरकार से न्याय की गुहार लगाई है। झम्मा लाल का कहना है कि उन्होंने न्याय पंचायत मढिया सड़क स्थित गौशाला से 8 गाय-बछड़े पालन हेतु लिए थे, लेकिन पिछले 6 महीनों से उन्हें गौ-पालन के एवज में कोई भुगतान नहीं मिला है। झम्मा लाल ने मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर अपनी व्यथा जाहिर करते हुए बताया कि जबसे उन्हें गाय-बछड़े सौंपे गए हैं, तबसे चारा-पानी और उनकी देखभाल का सारा खर्च वह स्वयं उठा रहे हैं। पहले कुछ धनराशि तो मिली, लेकिन पिछले 6 महीनों से भुगतान पूरी तरह बंद है, जिससे उनके सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है।

उन्होंने बताया कि अब तक उन्हें केवल ₹1,04,400 की राशि प्राप्त हुई है, जबकि ₹85,440 की बकाया राशि अभी तक नहीं दी गई है। इसके लिए वह तहसील से लेकर जिला मुख्यालय तक कई बार आवेदन कर चुके हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही।

झम्मा लाल ने कहा कि यदि जल्द ही उन्हें बकाया राशि नहीं मिली, तो उनके लिए इन पशुओं की देखभाल करना संभव नहीं होगा। उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि उन्हें जल्द से जल्द उनका हक दिया जाए, ताकि वह गायों की सेवा सुचारु रूप से कर सकें।

इस पूरे मामले में खंड विकास अधिकारी (बीडीओ) कुंभी शरद सिंह का कहना है कि शासन स्तर से गौ-पालन हेतु मिलने वाली धनराशि फिलहाल नहीं आई है, जिस कारण अधिकांश पशुपालकों को भुगतान नहीं किया जा सका है। जैसे ही धनराशि प्राप्त होगी, भुगतान की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।

पशुपालकों की आर्थिक हालत बिगड़ रही
क्षेत्र के अन्य पशुपालक भी इस समस्या से जूझ रहे हैं। सरकार द्वारा गौशालाओं से पशुपालन के लिए गाय-बछड़े ग्रामीणों को दिए तो गए हैं, लेकिन समय से भुगतान न होने के कारण अब यह योजना खुद पशुपालकों पर बोझ बनती जा रही है।

न्याय की आस में झम्मा लाल
झम्मा लाल जैसे अनेक ग्रामीण सरकार की गोसेवा योजनाओं से जुड़े हैं और सेवा भाव से कार्य कर रहे हैं। लेकिन यदि उन्हें उनका मेहनताना ही न मिले, तो यह न केवल सेवा भाव को ठेस पहुंचाता है, बल्कि सरकार की नीतियों पर भी सवाल खड़े करता है। अब देखना यह होगा कि शासन-प्रशासन इस गंभीर मुद्दे पर कब संज्ञान लेता है और झम्मा लाल जैसे पशुपालकों को कब उनका बकाया भुगतान दिलाया जाता है।

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