
- समझौते के बाद दोबारा शुरू
लखीमपुर, गोला गोकर्णनाथ। ऐतिहासिक चैती मेला मे सोमवार रात झूले पर फ्री पास को लेकर मेलार्थियों और झूला कर्मचारियों के बीच जमकर नोकझोंक हो गई। विवाद इतना बढ़ा कि झूला संचालकों ने मौत कुआं सहित सभी झूले बंद कर दिए। हालांकि मंगलवार को दोपहर बाद समझौते के बाद झूले फिर से शुरू हुए, लेकिन इस शर्त के साथ कि अब किसी भी प्रकार का फ्री पास मान्य नहीं होगा।
नेपाल के विराटनगर से आए झूले, मौत कुआं
हर साल की तरह इस बार भी गोला गोकर्णनाथ के चैती मेले में नेपाल के विराटनगर से झूले और मौत कुआं लगाए गए हैं। मुजफ्फरनगर के मोसीन चौधरी, तसव्वर राणा और राजस्थान के कैलाश सैनी द्वारा संचालित पांच प्रमुख झूले—मौत कुआं, ड्रैगन ट्रेन, ब्रेकडांस झूला, बड़ा झूला और नाव वाला झूला—मेलार्थियों के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं।
रेट बढ़ाने पर भी हुआ था विवाद
चार अप्रैल से शुरू हुआ यह मेला समापन की ओर बढ़ रहा है। लेकिन समाप्ति से चार दिन पूर्व झूला संचालकों ने अचानक टिकट दर 40 से बढ़ाकर 50 रुपये कर दी थी। इस पर पालिकाध्यक्ष विजय शुक्ल ‘रिंकू’ ने हस्तक्षेप कर रेट को पुनः 40 रुपये करवा दिया था, जिससे आम लोगों को राहत मिली थी।
पालिकाध्यक्ष ने की थी सुविधा बढ़ाने की घोषणा
19 अप्रैल को सांस्कृतिक कार्यक्रमों के समापन अवसर पर पालिकाध्यक्ष ने सफाई, पानी का छिड़काव और बिजली की सुविधा बढ़ाने का ऐलान किया था। इन सुविधाओं के चलते मेला पहले की तरह सुचारू रूप से चलता रहा।
फ्री पास बना विवाद की जड़
सोमवार 21 अप्रैल की रात करीब 10.30 बजे मेला गेट पर फ्री पास को लेकर खड़े कर्मचारी और मेलार्थियों के बीच बहस हो गई। बात बढ़ी तो झूला संचालकों ने नाराज होकर सभी झूले और मौत कुआं बंद कर दिए। मंगलवार दोपहर तक झूले बंद रहे। बाद में प्रशासनिक हस्तक्षेप और आपसी समझौते के बाद झूले दोबारा चालू किए गए, लेकिन इस बार शर्त साफ थी—अब किसी को फ्री पास नहीं मिलेगा।
अब सबक के साथ मस्ती जारी
फिलहाल, झूले फिर से शुरू हो गए हैं और मेले में रौनक लौट आई है। लेकिन झूला संचालकों और मेलार्थियों दोनों के लिए यह एक सबक रहा कि नियमों का पालन और संवाद जरूरी है, ताकि मनोरंजन का माहौल खराब न हो।