
- सीओ गोला को सौंपी गई जांच
लखीमपुर, गोला गोकर्णनाथ। थाना गोला क्षेत्र अंतर्गत ग्राम रामपुर गोकुल में एक दलित महिला के साथ लगातार हो रहे उत्पीड़न, मारपीट और जातिसूचक गालियों के मामले में अब न्यायालय के हस्तक्षेप से प्राथमिकी दर्ज की गई है। मामले की गंभीरता को देखते हुए इसकी जांच क्षेत्राधिकारी (CO) गोला को सौंपी गई है। ग्राम रामपुर गोकुल निवासी ऊषा देवी (30 वर्ष), जो अनुसूचित जाति की पासी समुदाय से आती हैं, ने न्यायालय में प्रकीर्ण वाद के अंतर्गत याचिका दायर की थी।
उन्होंने आरोप लगाया है कि गांव के ही दबंग और प्रभावशाली व्यक्तियों – वीरेन्द्र उर्फ गुड्डू, दीपू (पिता-पुत्र), तथा थाना गोला के पुलिसकर्मी ज्ञान प्रकाश मिश्रा (दरोगा) और अवनीश (हल्का सिपाही) – ने उन्हें और उनके परिवार को लंबे समय से शोषण का शिकार बनाया है।
घरेलू व खेतिहर मजदूरी कराने का आरोप
पीड़िता का कहना है कि आरोपी जबरन उनसे घरेलू व खेतिहर मजदूरी करवाते थे और इसके बदले में किसी प्रकार का मेहनताना नहीं दिया जाता था। जब ऊषा देवी और उनके पति ने यह कार्य करने से मना किया तो इसके परिणामस्वरूप दिनांक 17 अक्टूबर 2024 को उनके 12 वर्षीय पुत्र युवराज को बुरी तरह पीटा गया। पीड़िता जब अपने पुत्र को बचाने गई, तो उसे भी मारा गया, उसके कपड़े फाड़े गए और सार्वजनिक रूप से जातिसूचक गालियां दी गईं।
पुलिस पर आरोप: नहीं दर्ज की रिपोर्ट, उल्टा सुलह का दबाव
पीड़िता ने तत्काल घटना की सूचना थाना गोला में दी, परंतु न तो उसकी रिपोर्ट दर्ज की गई और न ही किसी प्रकार का चिकित्सीय परीक्षण कराया गया। उल्टे थाना पुलिस द्वारा पीड़िता और उसके पति पर आरोपियों से सुलह करने का दबाव बनाया गया।
23 अक्टूबर को दोबारा हमला, घर में घुसकर की मारपीट
ऊषा देवी ने आरोप लगाया कि जब उन्होंने सुलह से इनकार किया तो 23 अक्टूबर को दोबारा आरोपियों ने उनके घर पर धावा बोला। पहले वीरेन्द्र और दीपू आये और गालियाँ देते हुए धमकी दी, और उसके कुछ देर बाद हल्का सिपाही अवनीश और दरोगा ज्ञान प्रकाश मिश्रा घर में घुसे, जातिसूचक गालियाँ देते हुए हाथापाई की। इसी दौरान ऊषा देवी को धक्का देकर गिरा दिया गया, जिससे उन्हें चोटें आईं। बाद में पूरे गांव के सामने उन्हें घसीटते हुए अपमानित किया गया और जान से मारने की धमकी दी गई।
प्रशासन से कई बार की शिकायत, अंततः न्यायालय का दरवाज़ा खटखटाया
पीड़िता ने 23 अक्टूबर को पुलिस अधीक्षक, जिलाधिकारी और पुलिस महानिदेशक लखनऊ को शिकायत पत्र भेजे। जब कहीं से सुनवाई नहीं हुई, तो उन्होंने 25 अक्टूबर को मुख्यमंत्री पोर्टल और ईमेल के माध्यम से शिकायत दर्ज कराई। बावजूद इसके कोई कार्रवाई न होने पर अंततः उन्होंने न्यायालय का रुख किया।
न्यायालय के आदेश पर दर्ज हुआ मुकदमा
न्यायालय द्वारा थाना गोला में एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया गया। पुलिस ने मामले को पंजीकृत कर लिया है और जांच की जिम्मेदारी CO गोला को सौंप दी गई है,
प्रशासन पर सवाल, पीड़िता को न्याय की उम्मीद
इस घटना ने एक बार फिर से स्थानीय पुलिस व्यवस्था की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। एससी/एसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज होने के बावजूद प्रारंभिक स्तर पर रिपोर्ट दर्ज न करना, चिकित्सकीय परीक्षण न कराना और उलटे सुलह का दबाव बनाना एक गंभीर लापरवाही मानी जा रही है।