लखीमपुर : बेलपत्र से प्रसन्न होते है बाबा भोलेनाथ, जानिए क्यों होती है 21 या 101 पत्ते की संख्या खास

लखीमपुर खीरी। सावन माह भर सभी शिव मंदिरों में श्रद्धालुओं द्वारा भोलेनाथ की पूजा की जाती है जिसमें ऐसा माना जाता है की पूजा सामग्री में यदि बेलपत्री हो तो भगवान भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं। छोटी काशी गोला गोकर्णनाथ निवासी समाजसेवी महेश कुमार पटवारी बताते हैं कि पुराणों में वर्णित छोटी काशी के शिव भक्त यदि अभी ना जागे तो आने वाले कुछ समय में उन्हें और यहां आने वाले श्रद्धालुओं के साथ आने वाली पीढियां को बिना बेल पत्रों के ही भगवान शंकर की पूजा करनी होगी क्योंकि क्षेत्र के बाग बगीचों और जंगलों में जारी अवैध कटान के चलते बेलों के पेड़ों की संख्या लगातार घटती जा रही है। पौराणिक मान्यता और धार्मिक आस्था के मुताबिक तीन पत्तियों वाला बेलपत्र शिव भक्त 21 या 101 की संख्या में शिव जी को नित्य अर्पित कर पूजन करते हैं शिव मंदिर के बाहर फूल और बेलपत्र बेचने वाले माली भी अब साफ़ सूत्री तीन पत्तियों वाली बेलपत्र उपलब्ध कराने में दिन प्रतिदिन असमर्थ होते जा रहे हैं।

पूजा के लिए बेलपत्र सभी चढ़ाते हैं पौधा नहीं लगाना चाहता कोई – महेश कुमार पटवारी

नगर के पश्चिम रेलवे लाइन पर जंगलों में पहले बेलपत्र बहुत संख्या में लगे थे अवैध कटान के चलते बेल पत्रों की संख्या काफी कम होती जा रही। सर्दियों में इसकी ताजी हरी टहनियां आसानी से और दूदू कर जल जाती है जो ठंड में तपने के काम आती है। साथ ही बकरी चीतल नीलगाय इन से इन्हें बचाने की सख्त जरूरत होती है। नगर के सामाजिक कार्यकर्ता महेश कुमार पटवारी वर्ष 2005 से नगर में बेल के पेड़ों की कमी और इनके संरक्षण की आवश्यकता पर प्रचार प्रसार करते रहे हैं साथ ही इनके जन जागरण अभियान से प्रभावित होकर क्षेत्र में तमाम लोगों ने बेल के पेड़ लगाए हैं।

स्वयं महेश कुमार पटवारी ने क्षेत्र में 100 से भी ज्यादा बेल के पेड़ लगा चुके हैं और लगातार लोगों को बेल के पेड़ लगाने के लिए प्रेरित और प्रोत्साहित करते रहते हैं। महेश कुमार पटवारी कहते हैं कि सावन माह में बेल का पौधा अवश्य लगे इसके अलावा परिवार में जन्मदिवस पर और विवाह की वर्षगांठ पर भी बेल का पेड़ एक पौधा अवश्य लगाए और वर्ष भर उसको सुरक्षित संरक्षण दें। घर में बच्चों के जन्म के अवसर पर भी बेल का पौधा लगाए। किसी भी खुशी के अवसर पर बेल का पौधा जरूर लगाए या पुरखे और पूर्वजों की याद में भी पौधा लगाकर उसको संरक्षण प्रदान करें।

क्या है बेलपत्र के फायदे

वही नगर के आयुर्वेदिक चिकित्सक लोकेश कुमार गुप्ता बताते हैं कि हृदय रोग और मधुमेह में बेल का पत्र बहुत लाभकारी है। बेलपत्र में प्रोटीन, फास्फोरस, कार्बोहाइड्रेट, कैल्शियम, विटामिन सी और विटामिन ए के साथ सोना और लोहा भरपूर मात्रा में होता है। सुबह खाली पेट हरण बहेड़ा, आंवला, गिलोय, अर्जुन, छाल चूर्ण के साथ पांच बेलपत्र खाने से मधुमेह में शर्करा का स्तर काफी कम हो जाता है और हृदय रोग में भी काफी लाभ होता है। बेलपत्र के सेवन से पाचन तंत्र ठीक होकर मोटापा कम होता है। और श्वेत प्रदर पेचिश गैस विकार सूजन बवासीर ठीक होकर मनुष्य को दीर्घायु प्राप्त होती है। गर्मियों में बेल का शरबत पीने से शरीर पौष्टिक और मजबूत होता है धातु मजबूत होती है इसलिए बेलपत्र का रोपण और संरक्षण बहुत आवश्यक है।

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