कुशीनगर : मिड डे मील योजना ठप, बच्चों को न भोजन मिल रहा न उम्मीद

खड्डा, कुशीनगर : सरकार की महत्वाकांक्षी मिड डे मील एमडीएम योजना की स्थिति बदहाल है। पूर्व माध्यमिक विद्यालय भैंसहा और कम्पोजिट एवं प्राथमिक विद्यालय खैरी में पढ़ने वाले बच्चे पौष्टिक भोजन के लिए तरस रहे हैं। यह योजना, जिसका उद्देश्य स्कूली बच्चों को पोषण और शिक्षा से जोड़ना है, मिड डे मील की दुर्दशा ने अभिभावकों में आक्रोश पैदा कर दिया है।

बताते चलें कि पूर्व माध्यमिक विद्यालय भैंसहा और कम्पोजिट एवं प्राथमिक विद्यालय खैरी के स्कूलों में मिड डे मील की व्यवस्था ठप है। प्रधानाध्यापक द्वारा यह बताया जा रहा है कि ग्राम प्रधान कन्वर्जन कास्ट पर हस्ताक्षर नहीं कर रहे हैं। हम कब तक अपने पैसे से व्यवस्था करें? हमने खंड शिक्षा अधिकारी एवं जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को कई बार भुगतान के लिए सूचना दे दी है।

अभिभावकों का आरोप है कि स्कूल प्रशासन और संबंधित अधिकारियों की उदासीनता के कारण बच्चों के स्वास्थ्य और शिक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। बच्चों को स्कूल में खाना नहीं मिलता, जिससे वे भूखे रहते हैं। यह योजना सिर्फ कागजों पर चल रही है।

मिड डे मील योजना के तहत प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्तर के बच्चों को स्कूल में मुफ्त पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराया जाना है। भारत सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार, प्रत्येक बच्चे को प्राथमिक में प्रतिदिन 100 ग्राम अनाज और जूनियर में 150 ग्राम पोषक तत्वों से युक्त भोजन मिलना चाहिए। लेकिन खड्डा ब्लॉक के इन स्कूलों में न तो समय पर राशन पहुंचता है और न ही भोजन की गुणवत्ता पर ध्यान दिया जाता है। इतना ही नहीं, बर्तनों की धनराशि कुछ विद्यालयों को प्राप्त न होने की दशा में बर्तनों का अभाव दिखाई देने लगा है।

सूत्रों के मुताबिक, रसोइयों को समय पर मानदेय नहीं मिलता, जिससे उनका उत्साह भी कम हो गया है।
एक स्थानीय शिक्षक, जिन्होंने नाम न छापने की शर्त पर बात की, ने बताया कि राशन की आपूर्ति में अनियमितता और प्रशासनिक लापरवाही इस समस्या का मुख्य कारण है। हमें बार-बार अधिकारियों से शिकायत करनी पड़ती है, लेकिन कोई स्थायी समाधान नहीं निकलता, उन्होंने कहा।

जिला प्रशासन की ओर से इस मामले पर कोई ठोस ध्यान नहीं दिया जा रहा है। हालांकि, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी के कार्यालय से जुड़े एक कर्मचारी ने दावा किया कि शिकायतों की जांच की जा रही है और जल्द ही स्थिति सुधरेगी। लेकिन अभिभावकों का कहना है कि यह सिर्फ आश्वासन है; हकीकत में कोई बदलाव नहीं दिखता।

यह स्थिति तब और गंभीर हो जाती है, जब हाल के समाचारों में उत्तर प्रदेश के अन्य जिलों में मिड डे मील रसोइयों को न्यूनतम मानदेय समय से न मिलने की शिकायतें सामने आईं, जिस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी 2024 में रसोइयों को न्यूनतम मजदूरी देने का आदेश दिया था, लेकिन इसका पालन नहीं हो रहा है।

इस संबंध में खंड शिक्षा अधिकारी अमित कुमार चौहान ने बताया कि प्रधानाध्यापक द्वारा ग्राम प्रधान पर कन्वर्जन कास्ट के भुगतान न करने का आरोप लगाया गया है। हमने इस समस्या के निराकरण के लिए जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कुशीनगर को 31-07-2025 को पत्र लिखकर सूचित कर दिया है। इसके पूर्व भी 25-04-2025 को पत्र दिया था, लेकिन अभी तक कोई हल नहीं निकला है।

अधिकारी एक-दूसरे पर जिम्मेदारी सौंपकर अपना पल्ला झाड़ ले रहे हैं और बच्चों को भोजन के लाले पड़े हुए हैं।

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