Kumbh Stampede History : प्रयागराज महाकुंभ में बुधवार सुबह मौनी अमावस्या के अवसर पर लाखों श्रद्धालु जुटने के बाद भगदड़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई, जिससे कई लोग घायल हो गए। यह घटना पहली बार नहीं हुई है, इससे पहले भी कुंभ क्षेत्र में ऐसी भगदड़ से कई हादसे हो चुके हैं।
2013 में प्रयागराज कुंब की वह घटना…
कुंभ मेले में अब तक कई हादसे हो चुके हैं। इनमें से एक बड़ा हादसा 2013 में प्रयागराज कुंभ में हुआ था। यह घटना प्रयागराज रेलवे स्टेशन पर एक फुटब्रिज की रेलिंग गिरने के कारण हुई, जिससे भगदड़ मच गई। इस हादसे में 42 लोग मारे गए थे और 45 लोग घायल हो गए थे। इससे पहले, 2010 में हरिद्वार में आयोजित कुंभ मेला में भी एक हादसा हुआ था। 14 अप्रैल 2010 को अमृत स्नान के दौरान साधुओं और श्रद्धालुओं के बीच झड़प होने पर भगदड़ मच गई, जिसमें 7 लोगों की मौत हो गई थी और 15 लोग घायल हो गए थे।
2003 में नासिक के कुंभ मेले में 39 मौतें…
2003 में नासिक कुंभ मेले के दौरान एक भीषण भगदड़ हुई थी, जिसमें 39 तीर्थयात्रियों की जान चली गई और लगभग 100 लोग घायल हो गए थे। यह हादसा लाखों लोगों के लिए झकझोर देने वाला था। इसी तरह, 1986 में हरिद्वार में आयोजित कुंभ मेले के दौरान भी एक दर्दनाक घटना घटी थी। 14 अप्रैल 1986 को उस समय के उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह, विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्री और सांसदों के साथ हरिद्वार पहुंचे थे, जिसके कारण आम लोगों को गंगा तट तक पहुंचने से रोका गया। इस स्थिति के कारण भीड़ बेकाबू हो गई और भगदड़ मच गई। इस घटना में भी सैकड़ों लोगों की जान गई थी।
आजादी के बाद पहली बार 1954 में हुआ था हादसा
आजादी के बाद पहली बार 1954 में प्रयागराज कुंभ मेले में एक बड़ा हादसा हुआ था। 3 फरवरी 1954 को मौनी अमावस्या के दिन श्रद्धालुओं के बीच भगदड़ मच गई, जिससे 800 लोगों की जान चली गई। कुंभ मेले की परंपरा के अनुसार, सन्यासी, बैरागी और उदासीन अखाड़े संगम तट पर एक भव्य जुलूस के साथ पहुंचते हैं और तय क्रम के अनुसार अमृत स्नान करते हैं। इस क्रम में पहले स्थान पर पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी अमृत स्नान करता है।