
कोलकाता। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के निमंत्रण पर भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष अपनी पत्नी रिंकु मजूमदार के साथ दीघा के नव निर्मित जगन्नाथ मंदिर पहुंचे। वहां दर्शन के बाद उन्होंने मुख्यमंत्री से मुलाकात भी की, जिससे भाजपा के भीतर असंतोष की लहर दौड़ गई है।
दिलीप घोष के लिए आधे रास्ते से वापस लौटी ममता
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ बैठकर बात करते दिलीप घोष की तस्वीर और वीडियो दोनों वायरल हुए हैं। इसमें वह मुख्यमंत्री की सराहना करते नजर आ रहे हैं और सीएम ममता भी उनके स्वागत में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहीं। खास बात ये है कि दिलीप घोष के मंदिर पहुंचने से पहले ही ममता बनर्जी कोलकाता के लिए रवाना हो गई थीं, लेकिन दिलीप के पहुंचने की बात सुनकर वह आधे रास्ते से वापस मंदिर लौटीं और उनके साथ समय गुजारा।
ममता बनर्जी मंदिर से इसलिए निकली थीं कि उन्हें बड़ाबाजार में जहां आग लगी थी वहां जाकर हालात का जायजा लेना था। लेकिन सब कुछ छोड़कर वह दिलीप घोष के लिए लौट आई थीं, जिससे कई बड़े राजनीतिक संकेत मिल रहे हैं। अगले साल बंगाल में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले ममता बनर्जी और दिलीप घोष का एक साथ होना एक बड़े राजनीतिक समीकरण के तौर पर भी देखा जा रहा है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या बीजेपी से दिलीप घोष का मोह भंग हो गया है?
अक्षय तृतीया के शुभ अवसर पर बुधवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दिघा के भव्य जगरनाथ मंदिर का उद्घाटन किया। इस कार्यक्रम में तृणमूल के कई मंत्री, नेता और गणमान्य व्यक्ति शामिल हुए, लेकिन विपक्षी खेमे से केवल एक ही चेहरा दिखाई दिया—दिलीप घोष।
दिलीप घोष बुधवार शाम करीब साढ़े पांच बजे अपनी पत्नी रिंकु मजूमदार के साथ मंदिर पहुंचे। राज्य के मंत्री अरूप विश्वास और तृणमूल नेता कुणाल घोष ने उनका स्वागत किया। मंदिर दर्शन के बाद दोनों मुख्यमंत्री के अतिथि निवास पहुंचे जहां ममता बनर्जी से सौहार्द्रपूर्ण बातचीत हुई।
दिलीप घोष ने मंदिर की सुंदरता की सराहना करते हुए ममता बनर्जी को बताया कि वह इससे अभिभूत हैं। हालांकि उनका यह दौरा निजी बताया गया, लेकिन भाजपा नेताओं को यह रास नहीं आया।
भाजपा में नाराजगी और कटाक्ष
राज्य भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने स्पष्ट कहा कि पार्टी दिलीप घोष की इस यात्रा को स्वीकृति नहीं देती। उन्होंने कहा कि मालदा और मुर्शिदाबाद में हिंदुओं पर हुए हमले और मंदिर तोड़े जाने की घटनाओं के बाद किसी भी भाजपा नेता को इस उद्घाटन में नहीं जाना था। पार्टी ने यह तय किया था, लेकिन दिलीप घोष व्यक्तिगत रूप से वहां गए।
विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने भी नाम लिए बिना कटाक्ष करते हुए कहा कि वह किसी की ‘प्रेम, प्रीति, राग-द्वेष’ पर टिप्पणी नहीं करते और उन्होंने केवल ममता बनर्जी का जवाब देना जरूरी समझा।
सोशल मीडिया पर भी हुआ हमला
बिष्णुपुर के भाजपा सांसद सौमित्र खां ने सोशल मीडिया पर तीखा हमला बोलते हुए लिखा, “त्यागी से भोगी बनने की मिसाल हैं दिलीप घोष।” उन्होंने बाबुल सुप्रियो और मुकुल रॉय के पार्टी छोड़ने की तुलना भी दिलीप से की। वहीं, भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय सचिव अनुपम हाजरा ने व्यंग्य किया, “दिलीप दा, आप हाल ही में शादी किए हैं, अब चिल कीजिए…।”
पार्टी के भीतर गहराता विभाजन
ज्ञात हो कि दिलीप घोष ने 18 अप्रैल को 61 की उम्र में रिंकु मजूमदार से शादी की थी। शादी में भी पार्टी के भीतर की ‘आदि बनाम नए’ खेमेबंदी साफ नजर आई थी। उस समय ममता बनर्जी ने उन्हें शुभकामनाएं दी थीं, लेकिन मुलाकात नहीं हो सकी थी। यह पहला मौका था जब शादी के बाद दिलीप और ममता आमने-सामने आए।
दिलीप घोष की मंदिर यात्रा और ममता से भेंट ने भाजपा के अंदर चल रही अंदरूनी कलह को और अधिक उजागर कर दिया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या इस ‘निजी यात्रा’ का कोई राजनीतिक परिणाम सामने आता है।