जानिए भारत में उन जगहों की कहानी….. जहां नहीं मनाई जाती दिवाली

New Delhi : दीपावली, रोशनी का त्यौहार, भारत में हिंदू धर्म के सबसे बड़े और महत्वपूर्ण पर्वों में से एक है। यह त्यौहार दशहरा के 20 दिन बाद, भगवान राम के 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटने की खुशी में धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन लोग अपने घरों को दीपों से सजाते हैं मिठाई बांटते हैं, और देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत के कुछ हिस्सों में यह चमकदार त्योहार नहीं मनाया जाता ? यहाँ तक की इन जगहों पर लक्ष्मी गणेश की पूजा भी नहीं की जाती आईए, जानते हैं उन क्षेत्रों और उनके पीछे की वजहों के बारे में, साथ ही दीपावली की पूजा से जुडी खास परंपराओं के बारे में।

भारत में कहां नहीं मनाई जाती दीपावली?
जबकि दीपावली पूरे भारत में उत्साह के साथ मनाई जाती है, कुछ क्षेत्रों में यह त्यौहार पूरी तरह से अनुपस्थित है। इन जगहों की अपनी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक परंपराएं इसकी वजह है।
केरल : दक्षिण भारत का खूबसूरत राज्य के केरल दीपावली को उत्सव के रूप में नहीं मानता। इसके पीछे पौराणिक कथा है कि इस दिन राजा महाबली,जिन्हे केरल के लोग बहुत सम्मान देते हैं, की मृत्यु हुई थी। इस वजह से दीपावली को यहाँ शोक के रूप में देखा जाता है। हालांकि, केरल के कोच्चि शहर में व्यापारी वर्ग और उत्तर भारतीय समुदाय हिंदू इस त्यौहार को सीमित स्तर पर मानते हैं कुछ चीज में व्यापारी मार्ग और उत्तर भारतीय समुदाय दीपो और पूजा के साथ दीपावली का उत्सव मनाते हैं, लेकिन यह उत्साह राज्य के अन्य हिस्सों में देखने को नहीं मिलता
तमिलनाडु के कुछ हिस्से :
तमिलनाडु में भी कुछ क्षेत्रों में दीपावली का उत्सव नहीं मनाया जाता है। यहाँ कई समुदाय दीपावली को नरक चतुर्दशी के रूप में मनाते हैं, जो भगवान श्री कृष्ण द्वारा राक्षस नरकासुर के वध की याद में मनाया जाता है। इस दिन को तमिलनाडु में दीपावली की बजाय एक अलग सांस्कृतिक महत्व के साथ मनाया जाता है, जिसमें सुबह तेल स्नान और पारंपरिक रीति-रिवाज शामिल है। कुछ क्षेत्रों में, खासकर ग्रामीण इलाकों में दीपावली का उत्सव उतना प्रबल नहीं होता जितना उत्तर भारत में।

हिमाचल के सम्मू गांव : श्राप के डर से नहीं मनाता है दीपावली का त्यौहार
हिमाचल प्रदेश के जिला हमीरपुर में सम्मू एक ऐसा गांव है, जो वर्षों से दीपावली नहीं मनाता, गांव का मानना है जब भी यहां लोग दिवाली मनाते हैं तो गांव में कोई न कोई अनहोनी हो जाती है, ऐसा माना जाता है कि यहां कई साल पहले गांव की एक महिला ने इस गांव को श्राप दिया था कि कोई भी ग्रामीण सात पीढ़ियों तक दिवाली ना मनाए और अब इसके चलते ही इस गांव में आज तक दिवाली का त्योहार नहीं मनाया जाता है और ग्रामीण इस परंपरा को आज भी निभा रहे हैं.

Diwali 2025: कब और कैसे मनाई जाएगी?
इस साल दीपावली 20 अक्टूबर 2025, सोमवार को मनाई जाएगी। इसके एक दिन पहले, 19 अक्टूबर को छोटी दीपावली (नरक चतुर्दशी) होगी। इस दिन घरों में दीप जलाकर बुराई पर अच्छाई की जीत का उत्सव मनाते हैं। दीपावली की रात को लक्ष्मी गणेश पूजा दीप प्रज्वलन और आतिशबाजी के साथ उत्सव अपने चरम पर होता है। दीपावली की पूजा में कुछ खास सामग्रियों और रीति रिवाज रिवाजों का विशेष महत्व है। ये न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसके पीछे गहरे प्रतीकात्मक और ज्योतिषीय अर्थ भी छुपा है।


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