
करीब पंद्रह साल तक चली कानूनी और कूटनीतिक लड़ाई के बाद भारत को आखिरकार 26/11 मुंबई हमलों से जुड़ी एक बड़ी सफलता मिली है. अमेरिका से आतंकी साजिश के आरोपी तहव्वुर हुसैन राणा को भारत प्रत्यर्पित किया जा रहा है. उसे फ्लाइट से दिल्ली लाया जा रहा है. कुछ देर बाद वह भारत में लैंड करेगा. यह कदम भारत के लिए आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक सहयोग की दिशा में एक मजबूत संदेश है.
राणा एक पाकिस्तानी मूल का कनाडाई व्यापारी है, जिसने अपने स्कूली दोस्त डेविड हेडली की मदद से भारत में लश्कर-ए-तैयबा के इशारों पर रेकी और हमलों की योजना बनाई. इस साजिश की वजह से 26/11 के खूनी हमले हुए, जिनमें 166 मासूमों की जान गई थी. राणा की भूमिका इसलिए भी अहम है क्योंकि वह उन विदेशी चेहरों में से एक है, जिन्होंने सीमा पार बैठकर भारत पर हमला करने का रास्ता तैयार किया.
भारत में कदम रखते ही होगी गहन जांच
भारत पहुंचते ही राणा को विशेष एनआईए अदालत में पेश किया जाएगा, जहां एजेंसी उसकी कस्टडी मांगेगी. इसके लिए पूरी टीम तैयार है. ईमेल्स, ट्रैवल रिकॉर्ड और गवाहों के बयानों के आधार पर राणा से कई अहम सवाल किए जाएंगे. यह पूछताछ सिर्फ 26/11 तक सीमित नहीं रहेगी बल्कि आतंकी नेटवर्क की जड़ों तक पहुंचने की कोशिश होगी. राणा के प्रत्यर्पण को लेकर केंद्र में हलचल तेज है. गृहमंत्री अमित शाह ने विदेश मंत्री जयशंकर, एनएसए अजीत डोभाल और खुफिया प्रमुखों के साथ एक विशेष बैठक की. यह संकेत है कि सरकार इस पूरे ऑपरेशन को बेहद संवेदनशील और रणनीतिक नजरिए से देख रही है. टाइम्स ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, यू.एस. फेडरल ब्यूरो ऑफ प्रिजन्स की वेबसाइट ने राणा के नाम के आगे स्टेटस अपडेट करते हुए लिखा कि वह मंगलवार तक उनकी हिरासत में नहीं था. राणा के रजिस्टर नंबर (22829-424) पर लिखा, 08/04/2025 तक बीओपी हिरासत में नहीं”
हाई-सिक्योरिटी में बंद होगा राणा
राणा को सुरक्षा कारणों से फिलहाल दिल्ली की तिहाड़ जेल की विशेष सेल में रखा जा सकता है, जहां सुरक्षा व्यवस्था पहले ही सख्त कर दी गई है. मुंबई में कसाब के लिए तैयार की गई बम-प्रूफ बैरक भी राणा के लिए आरक्षित रखी गई है, अगर उसे मुंबई ट्रायल के लिए लाया गया तो यहीं रखा जाएगा.
मुंबई में खोल रखा था ऑफिस
NIA की चार्जशीट बताती है कि राणा ने “इमिग्रेंट लॉ सेंटर” के नाम पर मुंबई में एक दफ्तर खोल रखा था. लेकिन असल मकसद आतंकियों के लिए रेकी करना था. नवंबर 2008 में वह अपनी पत्नी के साथ भारत के कई शहरों में गया, जिसका इस्तेमाल हेडली ने योजनाओं को अंतिम रूप देने के लिए किया. हेडली उसका दोस्त ही है उसने हमले से पहले कई बार फोन पर बात की थी.
ISI-लश्कर नेटवर्क की खुलेंगी परतें
राणा की गिरफ्तारी केवल एक व्यक्ति की नहीं है. यह उस बड़े नेटवर्क को बेनकाब करने का रास्ता है जिसमें हाफिज सईद, लखवी और ISI के अफसर शामिल हैं. NIA को उम्मीद है कि इस पूछताछ से पाकिस्तान की सैन्य-खुफिया एजेंसियों और आतंक संगठनों के बीच के संबंधों पर नया प्रकाश पड़ेगा, जिससे अंतरराष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान की जवाबदेही तय की जा सके.
7 अप्रैल को मिली जीत
राणा को अमेरिका में 2009 में गिरफ्तार किया गया था, लेकिन 26/11 से जुड़े मामलों में वहां की अदालत से वह बच निकला. फिर भी भारत ने हार नहीं मानी. इंटरपोल रेड नोटिस, प्रत्यर्पण की अपीलें, और आखिरकार अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट तक जाकर भारत ने यह मामला जीता. 7 अप्रैल 2025 को राणा की अंतिम याचिका खारिज हुई, जिससे प्रत्यर्पण का रास्ता साफ हो गया.