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किसान आंदोलन को लेकर आज एक महत्वपूर्ण बैठक होने जा रही है, जो चंडीगढ़ में आयोजित होगी। इस बैठक में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान भी शामिल हो सकते हैं। इस बैठक को लेकर किसान संगठनों में उम्मीद जताई जा रही है कि केंद्र सरकार किसानों की समस्याओं का समाधान निकालने की दिशा में कुछ ठोस कदम उठाएगी। हालांकि, इससे पहले 14 फरवरी को हुई बैठक बेनतीजा रही थी, और किसानों के मुद्दों का कोई समाधान नहीं निकला था। इसके बाद शुक्रवार को शंभू बॉर्डर पर किसान नेता शुभकरण की पहली बरसी मनाई गई, जो किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण दिन था।
इस अवसर पर बड़ी संख्या में किसान नेता और किसान शंभू बॉर्डर पर एकत्रित हुए और एक श्रद्धांजलि सभा आयोजित की। इस सभा में महिलाओं ने भी भाग लिया और शुभकरण को श्रद्धांजलि दी। किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि अगर शनिवार को होने वाली बैठक भी बेनतीजा रही और केंद्र सरकार ने उनकी मांगों का समाधान नहीं किया, तो किसान दिल्ली कूच करेंगे। इसके लिए 25 फरवरी को 101 किसानों का जत्था वरिष्ठ किसान नेताओं की अगुवाई में दिल्ली कूच करेगा।
किसान संगठनों ने इस दिन की याद में शंभू और खनौरी बॉर्डरों पर समागम आयोजित किया, जिसमें किसानी आंदोलन 2.0 के शहीद हुए किसानों को श्रद्धांजलि दी गई। इस दौरान किसान नेताओं ने कहा कि शुभकरण सिंह की शहादत आने वाली पीढ़ियों को हक और इंसाफ के लिए संघर्ष करने की प्रेरणा देती रहेगी। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि शनिवार को होने वाली बैठक में किसानों का पक्ष पहले की तरह मजबूती से रखा जाएगा। किसान नेताओं को उम्मीद है कि इस बैठक में सरकार के मंत्री किसानों की मांगों को हल करने के लिए सकारात्मक कदम उठाएंगे।
किसान संगठनों की प्रमुख मांगों में 100 प्रतिशत फसल की खरीद एमएसपी पर करवाना और किसानों को कर्ज मुक्ति प्रदान करना शामिल है। इन मुद्दों पर पिछले एक साल से किसानों का आंदोलन जारी है। किसान नेताओं का कहना है कि सरकार को एमएसपी पर 100 प्रतिशत फसल खरीदने की गारंटी देने के लिए एक कानून बनाना होगा, ताकि किसानों के लिए सुनिश्चित किया जा सके कि उनकी उपज को सही मूल्य मिले।
किसान नेता डल्लेवाल ने कहा कि शनिवार को होने वाली बैठक में 28 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल हिस्सा लेगा, जो किसानों के मुद्दों को केंद्र सरकार के सामने मजबूती से रखेगा। उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक उनकी सभी मांगें पूरी नहीं होतीं। किसानों ने यह भी कहा कि देश में बढ़ते किसान आत्महत्याओं के मामलों को रोकने के लिए एमएसपी गारंटी कानून की आवश्यकता बेहद जरूरी है, क्योंकि यह कानून किसानों के भविष्य और उनके परिवारों के लिए सुरक्षा का माध्यम होगा।
किसान नेताओं का यह भी कहना है कि सरकार को किसानों के कर्ज मुक्ति का समाधान निकालने के लिए भी कदम उठाने चाहिए। इस संदर्भ में उन्होंने बताया कि पिछले एक साल से किसानी आंदोलन को लेकर देश भर में किसानों की आवाज उठाई जा रही है, और यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक सरकार किसानों की समस्याओं का समाधान नहीं करती।
किसान संगठनों का यह भी कहना है कि अगर केंद्र सरकार उनकी मांगों को पूरा करने में असफल रहती है, तो किसानों को सड़क पर उतरने के अलावा कोई और विकल्प नहीं मिलेगा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि आंदोलन शांतिपूर्ण तरीके से जारी रहेगा, लेकिन सरकार को अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी।
कुल मिलाकर, किसानों के मुद्दों को लेकर आज की बैठक एक महत्वपूर्ण मोड़ पर पहुंच चुकी है, और अब देखना होगा कि क्या केंद्र सरकार किसानों की मांगों को पूरा करने के लिए ठोस कदम उठाती है, या फिर यह आंदोलन और तेज होता है।