
शंभू और खनौरी बॉर्डरों पर चल रहे किसान आंदोलन 2.0 को आज एक साल पूरा हो गया है। एक साल के इस संघर्ष में किसानों ने अपनी मांगों को पूरा कराने के लिए कई बार दिल्ली कूच करने की कोशिश की, लेकिन हर बार उन्हें हरियाणा पुलिस प्रशासन के विरोध का सामना करना पड़ा। इस दौरान केंद्र सरकार से कई दौर की वार्ता भी हुई, लेकिन किसानों की प्रमुख मांगों पर कोई ठोस हल नहीं निकला।
किसान आंदोलन की मुख्य घटनाएँ
- दिल्ली कूच की कोशिश और संघर्ष:
13 फरवरी, 2024 को संयुक्त किसान मोर्चा और किसान मजदूर संघर्ष मोर्चा के नेतृत्व में पंजाब के विभिन्न हिस्सों से किसान शंभू और खनौरी बॉर्डरों पर जुटे थे। उनकी प्रमुख मांगों में एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) की कानूनी गारंटी, कर्ज मुक्ति और अन्य सुधार शामिल थे। हालांकि, हरियाणा पुलिस द्वारा बैरिकेडिंग के बाद किसान अपनी मंजिल तक नहीं पहुंच सके। - जान का नुक्सान और संघर्ष:
इस आंदोलन के दौरान 21 फरवरी, 2024 को एक किसान शुभकरण सिंह की दुखद मौत हो गई और कई अन्य किसान घायल हुए। इसके बावजूद, किसान अपनी मांगों के लिए संघर्ष जारी रखते रहे। - डल्लेवाल का आमरण अनशन:
किसानों की हिम्मत को बढ़ाने के लिए किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने 26 नवंबर को आमरण अनशन पर बैठने का एलान किया। पुलिस ने उन्हें खनौरी बॉर्डर से गिरफ्तार कर लिया, लेकिन किसानों के दबाव में उन्हें वापस भेज दिया गया। इससे आंदोलन में नई जान फूकी और शंभू बॉर्डर से दिल्ली कूच का नया जत्था रवाना हुआ। हालांकि, ये जत्थे भी आगे नहीं बढ़ सके। - सुप्रीम कोर्ट का संज्ञान:
आंदोलन के दौरान किसान नेता डल्लेवाल की बिगड़ती सेहत पर सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लिया और पंजाब सरकार को उन्हें मेडिकल सहायता देने का आदेश दिया। इसके बाद केंद्र सरकार को किसानों के साथ वार्ता करने पर मजबूर होना पड़ा। 18 जनवरी को केंद्र के अधिकारी खनौरी बॉर्डर पहुंचे और 14 फरवरी को बैठक का पत्र किसान नेताओं को सौंपा।
किसानों की प्रमुख मांगें
इस आंदोलन के दौरान किसानों ने कई महत्वपूर्ण मांगें उठाई हैं:
- एमएसपी की कानूनी गारंटी: किसानों की सबसे बड़ी मांग यह है कि एमएसपी को कानूनी तौर पर लागू किया जाए ताकि किसानों को उनकी फसलों का उचित मूल्य मिले।
- कर्ज मुक्ति: किसानों और मजदूरों को कर्ज मुक्त किया जाए ताकि वे आर्थिक तंगी से उबर सकें।
- मनरेगा के तहत रोजगार: किसानों और मजदूरों के लिए मनरेगा के तहत साल में 200 दिन रोजगार सुनिश्चित किया जाए और दिहाड़ी 700 रुपये की जाए।
- पेंशन स्कीम: किसानों और मजदूरों के लिए पेंशन स्कीम लागू की जाए ताकि उनकी आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
- स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें: किसानों की फसलों के दाम स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के आधार पर तय किए जाएं।
- आदिवासियों के लिए संविधान की पांचवीं सूची लागू हो।
किसानों का संकल्प और उम्मीदें
किसान नेता काका सिंह कोटड़ा और अभिमन्यु कोहाड़ ने बताया कि शुक्रवार को होने वाली बैठक के लिए किसान पूरी तरह से तैयार हैं। इस बैठक में किसान अपनी मांगों को मजबूती से रखने के लिए खेतीबाड़ी के विशेषज्ञों से विचार-विमर्श कर रहे हैं। साथ ही, उन्होंने मीडिया के माध्यम से देशभर के किसानों से अपील की है कि वे अपनी राय और सुझाव टेलीफोन या ई-मेल के जरिये भेज सकते हैं।
किसान आंदोलन 2.0 ने एक साल में संघर्ष की कई कहानियाँ गढ़ी हैं, लेकिन अब भी उनकी उम्मीदें कायम हैं। किसान अपनी मांगों को लेकर केंद्र सरकार से ठोस कदम उठाने की उम्मीद कर रहे हैं, और यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक उनकी सभी जायज मांगें पूरी नहीं होतीं।















