
नई दिल्ली : केंद्रीय विद्यालय (KV) लंबे समय से देश के टॉप सरकारी स्कूलों में गिने जाते हैं। यहां बच्चों को बेहद कम फीस में उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान की जाती है। अनुशासित माहौल, अनुभवी शिक्षक और मजबूत शैक्षणिक ढांचा KV की पहचान रहा है। इसके बावजूद, शिक्षा मंत्रालय की एक ताजा रिपोर्ट ने हैरान करने वाला खुलासा किया है।
रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 5 वर्षों में केंद्रीय विद्यालयों में नामांकन में लगभग 37,245 की गिरावट दर्ज की गई है। यह आंकड़ा तब सामने आया है जब सामान्यतः KV में एडमिशन को लेकर सीटों की कमी और आवेदनकर्ताओं की अधिकता चर्चा में रहती थी।
घटते नामांकन के पीछे क्या हैं कारण
निजी स्कूलों का बढ़ता आकर्षण
आज के समय में कई अभिभावक बच्चों को ऐसी जगह पढ़ाना चाहते हैं जहां स्मार्ट क्लास, इंटरनेशनल एक्सपोजर, और तकनीकी सुविधाएं मिलें। निजी स्कूल इन चीज़ों को लेकर ज्यादा प्रचार करते हैं, जिससे उनका रुझान बढ़ता जा रहा है।
सीमित सीटें और KV स्कूलों की संख्या
देश के हर क्षेत्र में केंद्रीय विद्यालय मौजूद नहीं हैं। कुछ इलाकों में KV की संख्या बेहद कम है, जिससे बच्चों को एडमिशन का मौका नहीं मिल पाता।
प्रवेश प्रणाली में प्राथमिकता
KV में पहले केंद्र सरकार के कर्मचारियों के बच्चों को प्रवेश दिया जाता है। इसके कारण आम नागरिकों के बच्चों को सीट मिलना मुश्किल हो जाता है।
जानकारी की कमी
कई अभिभावकों को KV की सुविधाओं और शिक्षा गुणवत्ता के बारे में पूरी जानकारी नहीं होती, जिस कारण वे निजी विकल्पों की ओर मुड़ जाते हैं।
शिक्षा मंत्रालय की चिंता
KV में घटते एडमिशन आंकड़ों ने शिक्षा मंत्रालय को भी सोचने पर मजबूर कर दिया है। मंत्रालय अब इस पर मंथन कर रहा है कि कैसे KV स्कूलों को फिर से आम जनता की पहली पसंद बनाया जाए।
आगे की राह:
KV की ब्रांडिंग और प्रचार को मजबूत किया जाए
ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में KV स्कूलों की संख्या बढ़ाई जाए
आम नागरिकों के लिए एडमिशन प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाया जाए
KV की उपलब्धियों और फीस स्ट्रक्चर की जानकारी अधिक व्यापक रूप से साझा की जाए