
Kasganj : स्वास्थ्य विभाग की मिलीभगत से जनपद के सहावर क्षेत्र में अवंति बाई रोड स्थित सावित्री नर्सिंग होम क्लीनिक के नाम पर फर्जी हॉस्पिटल के रूप में संचालित हो रहा है। इस क्लीनिक का रजिस्ट्रेशन केवल क्लीनिक के रूप में है, लेकिन यहां हॉस्पिटल की तरह बेड, ओटी सहित सभी सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं।
तत्कालीन एसडीएम ऋतु सिरोही और तहसीलदार संदीप चौधरी ने इसे दो बार सीज किया था, लेकिन स्वास्थ्य विभाग से साठगांठ कर नए नाम से पुनः रजिस्ट्रेशन करा लिया गया। जनपद में ऐसे फर्जी हॉस्पिटलों के चलते कई मौतें हो चुकी हैं, फिर भी स्वास्थ्य विभाग आंखें बंद किए बैठा है।
डीएम ने दिए थे सख्त निर्देश
हाल ही में जिलाधिकारी प्रणय सिंह ने स्वास्थ्य विभाग को स्पष्ट निर्देश दिए थे कि जनपद में फर्जी हॉस्पिटल और पैथोलॉजी पर सख्त कार्रवाई की जाए तथा इनके विरुद्ध विशेष अभियान चलाया जाए। इसके बावजूद सावित्री नर्सिंग होम क्लीनिक के नाम पर पूरे हॉस्पिटल की तरह चल रहा है। यहां ऑपरेशन तक किए जा रहे हैं।
सबसे गंभीर बात यह है कि दो बार सीज होने के बावजूद स्वास्थ्य विभाग ने फिर से नए नाम से रजिस्ट्रेशन जारी कर दिया। सवाल यह उठता है कि आखिर किसके संरक्षण में यह अवैध हॉस्पिटल दोबारा खुल जाता है। सहावर क्षेत्र में छोलाछाप डॉक्टरों की दबंगई से फर्जी क्लीनिक और पैथोलॉजी बिना रोक-टोक चल रहे हैं। नोडल अधिकारी और एसडीएम–तहसीलदार की लगाई सीलें भी साठगांठ से खुलवा दी जाती हैं।
पूर्व में इस क्लीनिक से आपत्तिजनक सामग्री भी मिली थी, जिसके बाद इसे सीज किया गया था। क्लीनिक के संचालक राजकुमार और रेखा बताए जाते हैं, जबकि रजिस्ट्रेशन दस्तावेजों में जिस डॉक्टर के नाम का उपयोग किया गया है, वे क्लीनिक पर मौजूद ही नहीं रहते।
क्या कहते हैं सीएचसी प्रभारी?
सहावर सीएचसी प्रभारी डॉ. मकसूर आलम ने बताया कि सावित्री नर्सिंग होम के नाम से केवल क्लीनिक का रजिस्ट्रेशन है, लेकिन यहां हॉस्पिटल चलाया जा रहा है। इस पर नोटिस जारी किया गया है। इसे दो बार पहले भी सीज किया जा चुका है, परंतु संचालक ने नए नाम से फिर रजिस्ट्रेशन करा लिया। नोटिस लेने से संचालक ने मना कर दिया, जिसकी सूचना सीएमओ को भेज दी गई है।
स्वास्थ्य विभाग में “पैसा दो, रजिस्ट्रेशन लो” का खेल
सहावर सीएचसी द्वारा कार्रवाई किए गए सावित्री नर्सिंग होम के रजिस्ट्रेशन के दस्तावेजों में डॉ. नरेंद्र कुमार के नाम का उपयोग किया गया है, लेकिन उसमें दर्ज फोन नंबर क्लीनिक संचालक राजकुमार का है। इससे स्पष्ट है कि रजिस्ट्रेशन के समय विभाग द्वारा कोई वास्तविक जांच-पड़ताल नहीं की जाती।
बताया जा रहा है कि मोटी रकम लेकर कागजों की औपचारिकता पूरी कर दी जाती है, जबकि जिले में फर्जी हॉस्पिटलों की वजह से कई लोगों की जान जा चुकी है।
फर्जी हॉस्पिटल मौत के सौदागर बनते जा रहे हैं और विभाग चुप है।













