
Bihar : बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद पार्टी के भीतर असंतोष फिर से सतह पर आ गया है। इस राजनीतिक उथल-पुथल का असर अब कर्नाटक तक पहुंच चुका है, जहां मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के बीच नेतृत्व को लेकर नई टकराहट शुरू हो गई है। दोनों नेताओं की राजनीतिक रस्साकशी अब बेंगलुरू से दिल्ली तक चर्चा का केंद्र बन गई है, और कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व भी इस स्थिति पर नजर बनाए हुए है।
दिल्ली में शिवकुमार खेमे में हलचल
सूत्रों के अनुसार, डीके शिवकुमार के करीबी लगभग 10 विधायक दिल्ली पहुंचे हैं और उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से मुलाकात की है। यह मुलाकात उस समय हुई है जब सिद्धारमैया का ढाई साल का कार्यकाल पूरा हो चुका है। समर्थकों की इस सक्रियता को पार्टी में संभावित नेतृत्व परिवर्तन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
हालांकि, शिवकुमार ने इन मुलाकातों की कोई औपचारिक जानकारी नहीं दी है, लेकिन उनके समर्थकों की दिल्ली में मौजूदगी ने मुख्यमंत्री पद की रेस को फिर से गर्म कर दिया है। ये मुलाकातें कांग्रेस हाईकमान पर दबाव बनाने की रणनीति का हिस्सा बताई जा रही हैं।
क्या बोले टीडी राजेगौड़ा?
कर्नाटक में मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर चल रही घमासान के बीच दिल्ली पहुंचे विधायक टीडी राजेगौड़ा ने कहा, “मुख्यमंत्री बदलना या नहीं यह पूरी तरह से आलाकमान पर निर्भर करता है। मैं शीर्ष नेतृत्व के साथ हूं। मंत्रिमंडल में फेरबदल में मुझे मौका मिलना चाहिए। मैं खुद मंत्री बनना चाहता हूं। मैं अपने लिए दिल्ली आया हूं और यह बात मैंने आलाकमान से कह दी है।”
सीएम सिद्धारमैया का बड़ा दावा
नेतृत्व परिवर्तन की अटकलों के बीच मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने स्पष्ट किया कि वे ही 2025 का बजट पेश करेंगे। उन्होंने ‘नवंबर क्रांति’ जैसी चर्चाओं को खारिज करते हुए कहा कि ऐसी बातें मीडिया की देन हैं। उनका कहना है कि कांग्रेस ने उन्हें पांच साल का जनादेश दिया है और वे पूरे कार्यकाल तक मुख्यमंत्री पद पर बने रहना चाहते हैं।
यह रुख इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि सिद्धारमैया का सपना है कि यदि वे 2026 तक मुख्यमंत्री रहते हैं, तो वे देवराज अर्स का रिकॉर्ड तोड़ देंगे, जो सबसे लंबे समय तक कर्नाटक के मुख्यमंत्री रहे हैं।
डीके शिवकुमार को सत्ता में हिस्सेदारी का इंतजार
उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार पिछले कई महीनों से सत्ता में हिस्सेदारी और पावर-शेयरिंग को लेकर उम्मीद लगाए हुए हैं। 2023 में सरकार बनने के बाद यह माना जा रहा था कि ढाई साल के बाद नेतृत्व परिवर्तन हो सकता है। अब जबकि सिद्धारमैया का ढाई साल का कार्यकाल पूरा हो चुका है, शिवकुमार का धड़ा हाईकमान पर दबाव बना रहा है।
एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा, “चिंता मत करो, मैं लाइन में पहले नंबर पर हूं।” उनका यह बयान संकेत देता है कि वे पद पर रहने का अवसर का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन संघर्ष छोड़ने के मूड में नहीं हैं। समर्थकों का मानना है कि वे अभी भी सत्ता में हिस्सेदारी के लिए प्रयासरत हैं और अपने नेतृत्व की दावेदारी मजबूत करने में लगे हैं।
यह भी पढ़े : ट्रंप ने निकाला शांति का नया रास्ता..! जेलेंस्की से बोले- यूक्रेन दो जमीन, सेना भी करो आधी















