संजय कपूर की प्रॉपर्टी करिश्मा कपूर के बच्चों ने मांगा हिस्सा तो तीसरी पत्नी बोली- ‘ये प्यार तब कहां था जब…’

Sanjay Kapoor Property Dispute : दिवंगत संजय कपूर की 30,000 करोड़ रुपये की संपत्ति पर मालिकाना हक को लेकर विवाद बढ़ गया है। करिश्मा कपूर के बच्चों ने इस संपत्ति में हिस्सेदारी की मांग करते हुए वसीयत पर सवाल उठाए हैं। प्रिया कपूर ने दिल्ली हाई कोर्ट में इसका विरोध किया है। अदालत ने प्रिया कपूर को 12 जून तक संपत्ति की सूची प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।

प्रॉपर्टी में हिस्सेदारी को लेकर बॉलीवुड अभिनेत्री करिश्मा कपूर के दो बच्चों ने मंगलवार को एक मुकदमा दायर किया है, जिसमें वसीयत पर सवाल खड़े किए हैं। इस मामले में संजय कपूर की पत्नी प्रिया कपूर ने दिल्ली हाई कोर्ट में विरोध दर्ज कराया है। न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने मामले की संक्षिप्त सुनवाई की और प्रिया कपूर को जवाब दाखिल करने का निर्देश देते हुए अगली सुनवाई 9 अक्टूबर के लिए स्थगित कर दी। साथ ही, अदालत ने प्रिया को 12 जून तक सभी चल और अचल संपत्तियों की सूची भी दाखिल करने को कहा है।

बच्चों के प्यार और स्नेह के दावे पर सवाल

प्रिया कपूर के वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव नायर ने कहा कि यह मुकदमा पूरी तरह से अस्वीकार्य है। उन्होंने तर्क दिया कि उनकी मुवक्किल संजय कपूर की कानूनन पत्नी हैं। उन्होंने करिश्मा कपूर के बच्चों के प्यार और स्नेह के दावे को खारिज करते हुए सवाल किया कि ये सब तब कहां था, जब उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में लंबी तलाक की कानूनी लड़ाई लड़ी थी। उन्होंने कहा कि संजय कपूर ने कई साल पहले उन्हें छोड़ दिया था, और 2016 में उनके तलाक की प्रक्रिया पूरी हुई थी।

वसीयत का अभाव और ट्रस्ट की संपत्तियां

करिश्मा कपूर के बच्चों की ओर से दायर शिकायत में कहा गया है कि न तो संजय कपूर ने वसीयत का जिक्र किया है, न ही प्रिया कपूर या किसी अन्य ने इसके अस्तित्व के बारे में कभी बताया। वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने बताया कि पूर्व में मिली जानकारी के अनुसार, कोई वसीयत नहीं है। कुछ संपत्तियों के ट्रस्ट के पास होने की जानकारी है।

30 जुलाई की बैठक

उन्होंने यह भी कहा कि करिश्मा और प्रिया के बीच बैठकें हुईं, जिनमें ट्रस्ट के प्रावधानों पर चर्चा की गई। इस बैठक में वसीयत का कोई उल्लेख नहीं था। बैठक 30 जुलाई को हुई, जिसमें दोनों पक्षों के कानूनी प्रतिनिधि मौजूद थे। बैठक में यह भी तय किया गया कि यदि सभी दस्तावेज दिए जाने हैं, तो उनके लिए एक गोपनीयता समझौता होना चाहिए। ट्रस्ट डीड भी उपलब्ध नहीं कराई गई है। वसीयत की तारीख और उससे संबंधित परिस्थितियां बहुत महत्वपूर्ण हैं।

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