Kargil Vijay Diwas : शहीद प्रदीप कुमार की शहादत बनी प्रेरणा, गांव के 12 युवा बने सेना के जवान

हिमाचल : कारगिल युद्ध के नायक शहीद प्रदीप कुमार और डोला राम ने भले ही देश के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए हों, लेकिन उनकी शहादत आज भी सैकड़ों युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी हुई है। हिमाचल प्रदेश के दो गांवों — सोलन जिले का रामशहर का पंदल और कुल्लू जिले की नित्थर उपतहसील — आज अपने वीर बेटों के बलिदान से प्रेरित होकर देश की रक्षा के लिए आगे आ रहे हैं।

प्रदीप कुमार की शहादत से प्रेरित होकर पंदल गांव के 12 युवा बने जवान

रामशहर के पंदल गांव के राइफलमैन प्रदीप कुमार (23) ने कारगिल युद्ध के दौरान 9 जुलाई 1999 को वीरगति प्राप्त की थी। उस समय वे 20 आरआर यूनिट के साथ कुपवाड़ा में तैनात थे। घर में शादी की तैयारियां चल रही थीं, लेकिन बेटा तिरंगे में लिपटकर लौटा। बहन जमना कौशिक बताती हैं कि भाई की शहादत ने पूरे गांव को झकझोर दिया, लेकिन साथ ही युवा पीढ़ी को प्रेरित भी किया। आज उसी गांव के 12 युवक सेना में सेवा दे रहे हैं।

प्रदीप के पिता जगन्नाथ, जो स्वयं सेना में सूबेदार के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं, 1961 और 1965 की लड़ाइयों के गवाह रह चुके हैं। यह परिवार आज भी देशसेवा को अपने खून में बहता मानता है।

नित्थर के शहीद डोला राम की विरासत – 20 से ज्यादा युवा सेना में

कुल्लू जिले की नित्थर उपतहसील के शकरोली गांव से ताल्लुक रखने वाले डोला राम कारगिल युद्ध के दौरान शहीद हुए थे। उनकी पत्नी प्रेमा देवी बताती हैं कि डोला राम के भीतर देशभक्ति की भावना हर सांस के साथ जुड़ी थी। उनके बलिदान के बाद क्षेत्र के 20 से अधिक युवा सेना में शामिल हो चुके हैं।

शहीद डोला राम के बेटे अश्वनी कटोच और अंकुश कटोच आज स्वरोजगार में लगे हैं और सरकार द्वारा दी जा रही सुविधाओं से संतुष्ट हैं। उनके चचेरे भाई हीरा सिंह कटोच, जो खुद भी पूर्व सैनिक हैं, कहते हैं कि डोला राम बचपन से ही सेना में जाना चाहते थे। वे अच्छे बॉक्सर भी थे और खेलों में गहरी रुचि रखते थे। उनके छोटे भाई स्वर्ण कटोच, जो कबड्डी में राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर खेले हैं, बताते हैं कि आज उन्हें अपने भाई की वजह से समाज में सम्मान मिला है।

इन दोनों गांवों की कहानियां इस बात का प्रमाण हैं कि शहीदों की शहादत सिर्फ इतिहास नहीं, आने वाली पीढ़ियों के लिए जिंदा प्रेरणा होती है। चाहे प्रदीप कुमार हों या डोला राम — इनके त्याग ने दर्जनों युवाओं को देश सेवा की राह पर चलने के लिए प्रेरित किया है।

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