कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर जताई नाराजगी, कहा- ‘ये काम चुनाव आयोग का है ही नहीं..’

Bihar Voter List Revision : बिहार में विधानसभा चुनाव से पूर्व वोटर लिस्ट के विशेष गहन पुनरीक्षण के खिलाफ विपक्षी पार्टियों ने एकजुटता दिखाई है। तेजस्वी यादव, राहुल गांधी जैसे प्रमुख नेताओं ने इस मुद्दे को लेकर विरोध प्रदर्शन में भाग लिया और सरकार व चुनाव आयोग के खिलाफ अपना गुस्सा जाहिर किया।

असोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने चुनाव आयोग के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। इसके बाद, आरजेडी, कांग्रेस सहित कई अन्य दलों ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। जिसमें आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विपक्ष साबित करे कि चुनाव आयोग कैसे गलत है। कोर्ट की पीठ ने कहा कि वोटर लिस्ट पुनरीक्षण में कोई गड़बड़ी नहीं है। हां लेकिन चुनाव आयोग इसमें टाइमिंग पर ध्यान दे। चुनाव से ठीक पहले वोटर लिस्ट पुुनरीक्षण की प्रक्रिया सही नहीं। अब सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर कांग्रेस नेता व विपक्षी वकील कपिल सिब्बल ने सवाल खड़े किए हैं। बिहार वोटर वेरिफिकेशन पर कपिल सिब्बल ने कहा कि ये काम चुनाव आयोग का नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट में विपक्ष का आरोप- चुनावी प्रक्रिया में धांधली का खतरा

बता दें कि 9 जुलाई को विपक्षी पार्टियों ने पटना में जोरदार प्रदर्शन किया, जिसमें नेताओं ने वोटर लिस्ट के विशेष पुनरीक्षण को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर की। विपक्ष का आरोप है कि यह प्रक्रिया अनुचित और चुनाव प्रक्रिया में धांधली का खतरा पैदा कर सकती है। इसके बाद, 10 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई शुरू हुई। सुनवाई के दौरान, चुनाव आयोग के वकील ने अदालत से कहा कि अभी तक सभी याचिकाओं की प्रतियां उन्हें प्राप्त नहीं हुई हैं, इसलिए पक्ष स्पष्ट रूप से अपनी बात नहीं रख पा रहा है। उन्होंने अदालत से आग्रह किया कि याचिकाओं की प्रतियां मिलने के बाद ही मामले पर आगे चर्चा की जा सके।

याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए वकील गोपाल शंकरनारायणन ने कहा कि वोटर लिस्ट का पुनरीक्षण कानून में मौजूद प्रक्रिया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह प्रक्रिया या तो संक्षिप्त रूप में की जा सकती है या फिर पूरी लिस्ट को नए सिरे से तैयार किया जा सकता है। उनका कहना था कि यह प्रक्रिया पारदर्शी और निष्पक्ष होनी चाहिए ताकि चुनाव की साख बनी रहे।

अब देखना यह है कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में क्या फैसला करता है और चुनाव आयोग की प्रक्रिया पर क्या दिशा-निर्देश देता है। विपक्षी दलों का मानना है कि यह प्रक्रिया चुनाव की निष्पक्षता से समझौता कर सकती है, जबकि सरकार का तर्क है कि यह आवश्यक सुधार है।

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