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- परिवहन विभाग को ओटीएस स्कीम से 630.4 लाख रूपये का राजस्व प्राप्त हुआ।
- 12 हजार बकायेदारो में 2156 लोगों ने किया आवदेन, 2107 का निस्तारण किया गया।
- परिवहन विभाग को केवल 20 प्रतिशत ही राजस्व प्राप्त कर पाया।
कानपुर : जिले में राजस्व प्राप्ति के लिए शासन ने बकाया टैकस और उस पर लगने वाली पेनाल्टी के लिए ओटीएस स्कीम को चलाया, जो कि डेढ़ माह तक चली और आरटीओ को इस ओटीएस से 630.4 लाख रूपये का राजस्व भी प्राप्त हुआ। लेकिन आंकडो के मुताबिक मिलने वाला राजस्व मूल बकायेदारों का केवल 20 प्रतिशत ही रहा है। बाकी के बकायेदारों ने ओटीएस का लाभ नही उठाया जिससे विभाग को मिलने वाला अनुमानित राजस्व प्राप्त नही हो सका।
एआरटीओ प्रशासन आलोक कुमार सिंह ने बताया कि 12 हजार वाहनो के बकाया टैक्स की वूसली करने के लिए शासन द्वारा ओटीएस स्कीम को चलाया गया जोकि 6 नवम्बर, 2024 से शुरू हुई 5 फरवरी, 2025 तक योजना चलाई गई। इस ओटीएस योजना के तहत 2156 वाहन स्वामियों द्वारा आवेदन किया जिसमें 2107 आवेदनो का निस्तारण किया गया जिससे विभाग को 630.4 लाख का राजस्व प्राप्त हुआ। इसी राजस्व के साथ प्रदेश के 19 संभागो में कानपुर चौथे स्थान पर रहा। लेकिन अन्य बकायेदारों ने इस योजना में कोई खास रूचि नही ली या यूं कहे परिवहन विभाग द्वारा उच्च स्तर का प्रचार प्रसार नही किया जा सका जिसके चलते पूर्ण लक्ष्य प्राप्त न हो सका। अगर बात 12 हजार बाकयेदारों की कि जाये तो कुल 20 प्रतिशत ही राजस्व का लक्ष्य विभाग हासिल कर सका जो कि बहुत ही कम है। हांलकि एआरटीओ प्रशासन आलोक कुमार सिंह ने बताया कि जो भी बकायेदार बचे है उन्हें नोटिसे जारी की गई है और अग्रिम कार्यवाही भी की जा रही है।
प्रतिवर्ष चलायी जाती है ओटीएस स्कीम
परिवहन विभाग में बकाये टैक्स को लेकर प्रतिवर्ष ओटीएस स्कीम चलाई जाती है,लेकिन उसका खास असर अब तक देखने को नही मिला है। ओटीएस (एक मुश्त समाधान योजना) का लाभ लेने वाला की संख्या हमेशा कम ही रही है। जिसके चलते लक्ष्य प्राप्ति हमेशा अपने लक्ष्य से दूर रह जाती है।
लंबे बकायेदारों में ऐसे भी वाहन है जो कि कई वर्षो से खडे है और कंडम हो गए है। इसके साथ कई ऐसे भी वाहन है जिनका फायनेंस का मामला पडा हुआ है और तो और कई वाहन स्वामी तो कर्ज में डूबे हुए है, तो कई वाहनो के सही पते भी दर्ज नही है। ओटीएस में भाग न लेना यह भी एक प्रमुख कारण माना जा रहा है जिसके चलते राजस्व लक्ष्य की पूर्ति शतप्रतिशत नही हो सकी है।