
- फिल्म इंडस्ट्री तक जुड़े हैं जमीन के इस अवैध कारोबार के तार
- एएसपी आवास के पीछे अवैध प्लाटिंग का मामला
- 1971 में लिखी गई थी जमीन के फर्जीवाड़े की पटकथा
- अफसर जांच में लटके, मौके पर बेचे जा रहे प्लाट
भास्कर ब्यूरो
कानपुर देहात। अकबरपुर तहसील के माती रोड में एएसपी आवास के पीछे प्लाङ्क्षटग के अवैध कारोबार के तार फिल्म इंडस्ट्री तक जुड़े हैं। अफसर भले ही जांच के नाम पर इस प्रकरण में धूल डालने की कोशिश करें लेकिन देर सबेर सच उजागर होगा। इसमें कोई शक नहीं है कि जमीन चारागाह और बंजर के नाम दर्ज है। इस खेल में कई अफसरों की भी गर्दन फंसना तय है। कुछ अफसरों ने तो अपने सगे संबंधियों को इस खेल में शामिल कर रखा है।
बड़ी बात ये है कि माती मुख्यालय के मुख्य मार्ग के किनारे स्थित इस जमीन पर प्लाटिंग की जा रही है और अफसरों की नजर इस पर नहीं पड़ी। ये भी हैरान करने वाली बात है। जबकि इस मार्ग से जिले के सभी अफसर दिन में कई बार निकलते हैं। हालाकि इसमें कई अफसरों की मिलीभगत के चर्चे आम हैं। एएसपी आवास के पीछे कीमती जमीन को हड़पने की पटकथा वर्ष 1971 में लिखी गई थी। तब धरऊ ग्राम सभा होती थी। इस जमीन के आवंटन में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा किया गया। जिसके सारे रिकार्ड राजस्व अभिलेखों में दर्ज हैं। कानपुर से अलग होकर कानपुर देहात नया जिला बना इसके बाद माती मुख्यालय में जब रौनक बड़ी तो जमीन के दाम आसमान छूने लगे। इसी का फायदा उठाने के लिए अभिलेखों में हेरफेर की कहानी गढऩा शुरु की गई। इसका फायदा भू माफिया उठाने की कोशिश में लगे हैं। एसडीएम अवनीश कुमार सिंह जांच रिपोर्ट आने का इंतजार कर रहे हैं। फिलहाल मौके पर काम में रोक नहीं लगी है। इस संबंध में डीएम से बात करने की कोशिश की गई लेकिन बात नहीं हो सकी।
जाने माने फिल्म अभिनेता का भी पैसा लगा
दरअसल इस जमीन की खरीद फरोख्त में जिले से लेकर कानपुर शहर और दिल्ली तक के कई सफेदपोश शामिल हैं। एक सफेदपोश की पहचान फिल्म इंडस्ट्री तक है। उन्होंने मोटे मुनाफा का भरोसा देकर फिल्म इंडस्ट्री के जाने माने अभिनेता का पैसा भी लगवा दिया। फिल्म अभिनेता एक राजनीतिक दल से भी गहरा ताल्लुक रखते हैं। 15 बीघा 14 बिस्वा जमीन को 15 हजार रुपए वर्गगज के हिसाब से बेचकर करोड़ों के वारे न्यारे किये जा रहे हैं।
रास्ता देने के नाम पर करोड़ों का खेल
एएसपी आवास के बगल से आम रास्ता है। ये रास्ता पीछे की जमीन में काश्तकारों के जाने के लिए दिया गया था। करीब आठ वर्ष पूर्व रास्ते की पैमाइश हुई थी। पिलर लगाकर सीमाकंन कर दिया गया ताकि कोई अवैध कब्जा न कर सके। इसमें कुछ वर्ष एक तत्कालीन पुलिस अफसर की मिलीभगत से एक नेता जी ने कब्जा कर लिया। उन्होंने रास्ता बंद कर कोठरी बना दी। अब पीछे की जमीन पर जाने का रास्ता नहीं रहा। इस बीच पीछे की जमीन को कुछ लोगों ने खरीदा और कुछ जमीन का एग्रीमेंट कराकर प्लाङ्क्षटग की तैयारी की लेकिन रास्ता न होने पर समस्या आ रही थी। इस पर रास्ता देने के लिए सौदा करीब डेढ़ करोड़ में सौदा हुआ। कोठरी हटाकर साइट पर जाने के लिए गेट बना दिया गया।