इश्क करने वालों के लिए नेक सलाह, मोहब्बत तभी कामयाब होगी, जब मर्द अपने हाथों का ख्याल भी करेंगे; सर्वे में बड़ा खुलासा

  • मर्दों के मुकाबले दस गुना ज्यादा हाथ धोती हैं महिलाएं
  • नित्य क्रिया के बाद बगैर साबुन हाथ धोने की आदत
  • साफ-सफाई से परहेज के कारण बीमारियों को न्योता
  • घरेलू कलह में हाथ नहीं धोने की आदत बड़ी वजह

कानपुर। बीवी-गर्लफ्रेंड के साथ रोमांस और अच्छे रिश्तों की ख्वाहिश है तो खबर पढ़ने के साथ कायदे से हाथ धोने की आदत को रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा बना लीजिए। कानपुर के मर्द हाथ धोने के मामले में बड़े आलसी साबित हुए हैं।

खान-पान के बाद टिश्यू पेपर इस्तेमाल करने वाले कनपुरिए मर्द तो कमोड और यूरिनल में नित्यक्रिया के बाद भी साबुन के बजाय पानी से हाथ धोना काफी समझते हैं। ऐसी ही हरकतों के कारण माशूका-बीवी के साथ बहस शुरू होती है जोकि कई मर्तबा रिश्तों की कड़ुवाहट में बदल जाती है। एक निजी एजेंसी के सर्वे के मुताबिक, कानपुर शहर में मर्दों के मुकाबले महिलाएं दस गुना ज्यादा हाथों का ख्याल रखती हैं। डाक्टर्स भी दावा करते हैं कि गंदे हाथ भोजन करने और नाखूनों में फंसी गंदगी के कारण पाचन तंत्र संबंधी बीमारियों से पुरुष ज्यादा पीड़ित होते हैं।

दिन में दो-तीन मर्तबा हाथ धोते हैं मर्द

सर्वे का सच है कि, कानपुर के अधिकांश मर्द सुबह बिस्तर छोड़ने के बाद स्नान के दरमियान पहली मर्तबा हाथ धोते हैं, जबकि दोपहर में भोजन के बाद दूसरी मर्तबा हथेलियों को साबुन नसीब होता है। कुछ मर्द शाम को रिफ्रेश होते समय हाथ-मुंह को साबुन तथा फेश-क्लीनर से साफ करते हैं। दोपहर में हाथ धोने का रिवाज सिर्फ 20 फीसदी पुरुषों की जिंदगी का हिस्सा है, जबकि शेष 80 फीसदी को लंच के बाद हाथ साफ करने के लिए टिश्यू पेपर पर ज्यादा यकीन रहता है। सर्वे के दरमियान, महिलाओं की जिंदगी में हाथ की सफाई का महत्व ज्यादा नजर आया। सुबह नींद खुलने के बाद, स्नान के दौरान और मेक-अप के बाद हाथ धोना लाजिमी है, लेकिन आटा गूंथते के बाद एक मर्तबा और भोजन पकाते समय तीन-चार मर्तबा हाथ धोने की आदत अधिकांश महिलाओं में मिली है।

दोपहर के भोजन से पहले और बाद भी 95 फीसदी महिलाएं कायदे से हाथों की सफाई करती हैं। इसी प्रकार देर शाम भोजन पकाने-खाने के साथ-साथ बिस्तर पर जाने से पहले भी महिलाएं अनिवार्य रूप से हाथ-हथेलियों का ख्याल करना नहीं भूलती हैं।

हरकतों के कारण नाराज होती हैं बीवियां

सर्वे में अधिकांश महिलाओं ने खुलकर बताया कि, तमाम मर्तबा टोकने के बावजूद घर के पुरुषों को साबुन-क्लीनर से हाथ धोने में परहेज होता है। तमाम महिलाओं ने बताया कि, कमोड और यूरिनल के दौर में पति-प्रेमी टॉयलेट से निकलने के बाद सिर्फ पानी से हाथ धोने की रस्म निभाते हैं। इस आदत का विरोध करने पर घर में कलह होती है।

गौरतलब है कि, मेडिकल रिपोर्ट कहती है कि, टॉयलेट में असंख्य जीवाणु होते हैं, ऐसे में प्रत्येक मर्तबा कमोड या यूनिरल का इस्तेमाल करने के बाद साबुन से हाथ धोना जरूरी होता है। कानपुर के मर्द इस नसीहत को स्वीकार करने के लिए तैयारनहीं हैं, ऐसे में गृहस्थ-जीवन में शांति के लिए कई बीवियों ने पति की आदत को नजरअंदाज करना मुनासिब समझा, जबकि 40 फीसदी युवतियों ने हाथ धोने से परहेज करने वाले प्रेमियों से ब्रेकअप करना ज्य़ादा मुफीद समझा।

डीएम अंकल ने बेटियों को सिखाया हाथ धोना

हाथ धोना कितना जरूरी है और हाथ कैसे धोना चाहिए। इस बात को समझाने के लिए जीजीआईसी चुन्नीगंज में तमाम बेटियों के साथ उनके डीएम अंकल मौजूद थे। बेटियों को हाथ की साफ-सफाई के तौर-तरीके समझाने के बाद जिलाधिकारी ने आग्रह किया कि कम से कम खाना खाने से पहले अवश्य हाथ धोएं। यह एक छोटा-सा कदम है, जो हमें बड़ी बीमारियों से बचा सकता है।

ग्लोबल हैंडवाशिंग डे के मौके पर जिलाधिकारी जितेन्द्र प्रताप सिंह ने बेटियों को ‘सुमन-के’ तकनीक के माध्यम से हाथ धोने की विधि डैमो के जरिए समझाई। जिलाधिकारी ने कहाकि, हम सभी लोग रोजमर्रा की जिंदगी में कई लोगों से हाथ मिलाते हैं, विशेषकर पार्टी या सामाजिक आयोजनों में। बावजूद अधिकाँश लोग भोजन करने से पहले हाथ नहीं धोते। यही लापरवाही अनेक बीमारियों का कारण बनती है। उन्होंने यह भी कहा कि विवाह स्थल, गेस्ट हाउस, होटल्स एवं आयोजकों को चाहिए कि हाथ धोने की उचित व्यवस्था सुनिश्चित करें। स्वच्छता केवल व्यक्तिगत नहीं, बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी भी है। कार्यक्रम में मुख्य विकास अधिकारी दीक्षा जैन, सीएमओ डॉ हरिदत्त नेमी, प्राचार्या मंगलम गुप्ता उपस्थित थीं।

सुमन-के प्रकिया
स : सीधा धोना
उ : उल्टा करके *धोना
म : मुट्ठी बंद करके रगड़ना
अ : अंगूठा साफ करना
न : नाखून साफ करना
के : कलाई तक धोना

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